घृणा को घृणा से खत्म नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है जो की एक प्राकृतिक सत्य है.
जो बीत गया उसमें नहीं उलझना चाहिए और ना ही भविष्य को लेकर ज्यादा चिंतित रहना चाहिए, बल्कि हमें वर्तमान में ही जीना चाहिए. यही खुशी से जीने का रास्ता है.
नफरत से नफरत कभी खत्म नहीं हो सकती. नफरत को केवल प्यार द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है. यह एक प्राकृतिक सत्य है.
आप चाहें जितनी किताबें पढ़ लें, कितने भी अच्छे प्रवचन सुन लें, उनका कोई फायदा नहीं होगा, जब तक कि आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते.
वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है, उसके पचास संकट हैं. वो जो किसी से प्रेम नहीं करता, उसके एक भी संकट नहीं हैं.
किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं, हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं.