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होली बिना संगीत अधूरी मानी जाती है, यहां ब्रज की हर गलियों में लोग उत्साह के साथ भगवान कृष्ण का नाम उच्चारण कर होली खेल रहे हैं. यहां लोग होली खेलन आयो श्याम आज याको रंग में बोरो रे, कोरे कोरे कलश मंगाय सखी री उसमें केसर घोरी रे' कुछ ऐसे ही गीत होली को और खास बनाते हैं.
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ब्रज में होली के त्योहार 40 दिनों तक चलता है. इसकी शुरुआत राधारानी की जन्मस्थली से हुई थी. यहां कि लट्ठमार होली काफी प्रसिद्ध है. बरसाना में भगवान श्रीकृष्ण को राधा और गोपियां उन्हें सबक सिखाने के लिए लट्ठमार की शुरुआत की थी, जो आज भी चली आ रही है.
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यहां ब्रज में होली के खास मौके पर अलग-अलग पकवान जैसे कि लड्डू, बताशे, ठंडई, गुजीया बनाई जा रही है.
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यह तस्वीर राघावल्लभ मंदिर की है. जहां हल्दी, दही, लड्डू और कीचड़ के साथ होली खेली जा रही है.
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कहा जाता है कि जिसने ब्रज की होली नहीं देखी, उसने कुछ नहीं देखी. इसलिए होली में ब्रज में जाकर ही होली खेलें और वहां का आनंद लें.