भगवान कृष्ण ने कंस के वध किया ये सभी जानते हैं लेकिन कंस से बहुत पहले कृष्ण ने बचपन में ही कई राक्षसों का वध किया था.
इसमें सबसे पहली थी पूतना. वह भेष बदलकर आई थी और नन्हे मुन्ने कृष्ण को दूध पिलाने के बहाने जहर देने की कोशिश की पर बालकृष्ण ने उनका वध कर दिया.
बकासुर बगुले का रूप धरकर कृष्ण को मारने आया और उन्हें निगल गया लेकिन कृष्ण उसका पेट चीरकर बाहर आ गए.
अघासुर, पूतना और बकासुर का ही भाई था. वह अजगर के रूप में कृष्ण को मारने आया पर कृष्ण ने उसका भी वध कर दिया.
कृष्ण को मारने के लिए तृणावर्त नामक राक्षस को भेजा गया था. वह तूफान और बवंडर की रूप में आता था. उसके कृष्ण को भी अपने साथ उड़ा लिया पर नन्हे मुन्ने कृष्ण ने उसका भी वध कर दिया.
वत्सासुर बछड़े का रूप धरकर आया और श्रीकृष्ण की गायों में मिल गया लेकिन कृष्ण ने उसे पहचान लिया और पूंछ पकड़कर पटक दिया और वध कर दिया.
नरकासुर राक्षस ने 16000 युवतियों को कैद कर लिया था. इसका वध कर कृष्ण ने सभी 16000 युवतियों के शरण दी. इन्हें ही कृष्ण की 16000 रानियां कहा जाता है.
शिशुपाल रिश्ते में कृष्ण का भाई लगता था. कृष्ण ने वचन दिया था कि इसकी 100 गलतियां माफ कर दूंगा. 101 गलती करते ही कृष्ण ने उसका वध कर दिया.
कालिया नामक नाग यमुना जी के जल में विष घोलता था. बचपन में कृष्ण ने उसके फन पर नृत्य किया और उसे मथुरा से जाने का आदेश दिया.
इसके अलावा तमाम असुरों के भगवान कृष्ण ने वध किया और लोगों को अत्याचारों से मुक्ति दिलाई.