5 अक्टूबर को मनाई जा रही है वाल्मीकि जयंती (फाइल फोटो)
अश्विन मास की शरद पूर्णिमा को महर्षि वाल्मीकि का जन्मदिवस (वाल्मीकि जयंती) मनाया जाता है। वैदिक काल के प्रसिद्ध महर्षि वाल्मीकि रामायण महाकाव्य के रचयिता के रूप में विश्व विख्यात हैं। उन्हें न सिर्फ संस्कृत बल्कि समस्त भाषाओं का ज्ञान था और उन्हें हर भाषा के महानतम कवियों में शुमार किया जाता था।
शरद पूर्णिमा को मनाई जाती है वाल्मीकि जयंती (फाइल फोटो)
वैसे तो महर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन पौराणिक मान्यता के मुताबिक, उनका जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर में हुआ था। महर्षि भृगु वाल्मीकि के भाई थे।
वाल्मीकि (फाइल फोटो)
महर्षि ने कठोर तपस्या की थी, इस वजह से उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। एक बार तो वह ध्यान में इतना मग्न हो गए कि उनके शरीर के चारों तरफ दीमकों ने अपना घर बना लिया था। जब उनकी साधना पूरी हुई, तब वह उससे बाहर निकले। दीमकों के घर को 'वाल्मीकि' कहा जाता है। इस वजह से भी महर्षि को वाल्मीकि कहा जाने लगा।
वाल्मीकि (फाइल फोटो)
पौराणिक कथा के मुताबिक, महर्षि बनने से पहले वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था। वह लूटपाट करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। एक बार उन्होंने नारद मुनि को लूटने की कोशिश की। इस पर नारद ने उनसे पूछा कि क्या उनका परिवार इस पाप का फल भोगने में साझीदार होगा। जब रत्नाकर ने परिवारवालों से पूछा तो सभी ने मना कर दिया।
वाल्मीकि (फाइल फोटो)
वाल्मीकि वापस लौटकर नारद के चरणों में गिर गए। इसके बाद नारद ने उन्हें राम का नाम जपने की सलाह दी। यही रत्नाकर आगे चलकर महर्षि वाल्मीकि के रूप में विख्यात हुए।