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तालिबान का राज
अफगानिस्तान में पूरी तरह तालिबान का कब्जा हो चुका है. इसके बाद नई सरकार बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
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देश का नाम बदला
अफगानिस्तान का नाम अब इस्लामिक अमीरात कर दिया है. मौलवी हिब्तुल्लाह अखुंदजादा इसका प्रमुख घोषित हुआ है।
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मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी
संभावना है कि हिब्तुल्लाह अखुंदजादा के अलावा मुल्ला अब्दुल गनी बरादर , मुल्ला मोहम्मद याकूब , सिराजुद्दीन हक्कानी और मुल्ला अब्दुल हकीम को बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी।
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पहले भी शामिल
1996 से 2001 तक चली तालिबानी सरकार में भी इसमें कुछ लोग शामिल थे. कुछ ने अमेरिका के खिलाफ 20 साल चली जंग में अहम भूमिका निभाई।
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अब्दुल गनी बरादर
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर उन चार लोगों में से एक हैं, जिन्होंने तालिबान का गठन किया था। वो तालिबान के फाउंडर मुल्ला उमर का डिप्टी था। 2001 में अमेरिकी हमले के वक्त वो देश का रक्षामंत्री था।
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हुआ था गिरफ्तार
2010 में अमेरिका और पाकिस्तान ने एक ऑपरेशन में बरादर को गिरफ्तार कर लिया। उस वक्त शांति वार्ता के लिए अफगानिस्तान सरकार बरादर की रिहाई की मांग करती थी। सितंबर 2013 में उसे रिहा कर दिया गया।
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खोला दफ्तर
2018 में जब तालिबान ने कतर के दोहा में अपना राजनीतिक दफ्तर खोला। वहां अमेरिका से शांति वार्ता के लिए जाने वाले लोगों में मुल्ला अब्दुल गनी बरादर प्रमुख था। उसने हमेशा अमेरिका के साथ बातचीत का समर्थन किया है।
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इंटरपोल की जानकारी
इंटरपोल के मुताबिक मुल्ला बरादर का जन्म उरूज्गान प्रांत के देहरावुड जिले के वीटमाक गांव में 1968 में हुआ था। माना जाता है कि उनका संबंध दुर्रानी कबीले से है। पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई भी दुर्रानी ही हैं।
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अत्यंत क्रूर
हिब्तुल्लाह अखुंदजादा ऐसा क्रूर कमांडर है जिसने कातिलों और अवैध संबंध रखने वालों की हत्या करवा दी और चोरी करने वालों के हाथ काटने की सजा दी।
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इमाम का बेटा
हिब्तुल्लाह अखुंदजादा 1961 के आस - पास अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के पंजवई जिले में पैदा हुआ। वह नूरजई कबीले से ताल्लुक रखता है। उसके पिता मुल्ला मोहम्मद अखुंद एक धार्मिक स्कॉलर थे। वो गांव की मस्जिद के इमाम थे।
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1996 में किया था कब्जा
1996 में जब तालिबान में काबुल पर कब्जा जमाया उस वक्त अखुंदजादा को फराह प्रांत के धार्मिक विभाग की जिम्मेदारी मिली। बाद में वो कंधार चला गया और एक मदरसे का मौलवी बन गया।
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रहा चीफ जस्टिस
हिब्तुल्लाह अखुंदजादा इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान में शरिया अदालत का चीफ जस्टिस भी रहा। मुल्ला मंसूर की मौत के बाद 25 मई 2016 को हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को तालिबान की कमान सौंपी गई। तब से वही इस समूह की टॉप अथॉरिटी है।
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मुल्ला मोहम्मद याकूब
तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर की पाकिस्तान में मौत हो गई। 2016 में मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब सामने आया। उसने अखुंदजादा को तालिबान चीफ बनाए जाने का समर्थन किया और फिर गायब हो गया।
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अमेरीका-तालिबान समझौता
इस साल 29 फरवरी को अमेरिका और तालिबान के समझौते के 3 महीने बाद मोहम्मद याकूब का नाम चर्चा में आया। तालिबान की रहबरी शूरा ने मोहम्मद याकूब को मिलिट्री विंग का कमांडर नियुक्त किया था। मोहम्मद याकूब अब कमांडर मुल्ला याकूब बन चुका है।
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नरमपंथी नेता
कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि तालिबान की मौजूदा लीडरशिप में मुल्ला याकूब सबसे नरमपंथी रवैये वाला नेता है। अलकायदा की तरह वह अमेरिका और दूसरे पश्चिम देशों का दुश्मन नहीं है।
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सिराजुद्दीन हक्कानी
सिराजुद्दीन हक्कानी मुजाहिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है। वो अपने पिता के बनाए हक्कानी नेटवर्क को चलाता है। ये नेटवर्क पाकिस्तान सीमा पर तालिबान के फाइनेंशियल और मिलिट्री प्रॉपर्टी की देखरेख करता है।
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आत्मघाती हमलों की शुरुआत
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि हक्कानी ने ही अफगानिस्तान में आत्मघाती हमलों की शुरुआत की थी। हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कई हाई - प्रोफाइल हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
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हत्या का प्रयास
उसने तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या का प्रयास भी किया था। इसके अलावा हक्कानी नेटवर्क ने भारतीय दूतावास पर भी आत्मघाती हमला किया था।
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मुल्ला अब्दुल हकीम
अब्दुल हकीम हक्कानी तालिबान के शांति वार्ता टीम का एक सदस्य है। तालिबान के शासन के दौरान मुख्य न्यायधीश रहा धार्मिक स्कॉलर्स की पावरफुल परिषद का प्रमुख है।
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सबसे ज्यादा भरोसा
ऐसा माना जाता है कि तालिबान सरगना हिबतुल्लाह अखुंदजादा अब्दुल हकीम हक्कानी पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है।