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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
देशभर में जन्माष्टमी की तैयारियां जोरों पर है। कृष्ण भक्त पूरे पूरे कान्हा की भक्ति में रंगे नजर आ रहे हैं। वही बाजार भी मोरपंख, कृष्ण मूर्ति और तरह-तरह के पकवान, फलों से सजे नजर आ रहे है। कृष्ण भक्तों के लिए सबसे बड़ा पर्व माना जाने वाला श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Sri krishna janmashtami) इसबार 2 और 3 सितंबर को मनाया जाएगा। तो आप भी अपना जन्माष्टमी कृष्ण के इन प्रसिध्द मंदिर में जाकर मना सकते है। हम आपको देश में मौजूद ऐसे कई मंदिर के बारे में बताएंगे जहां कान्हा अपने अलग-अलग नामों से विराजमान है।
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि (मथुरा)
कृष्ण जन्म भूमि मथुरा का एक प्रमुख धार्मिक स्थान है जहाँ हिन्दू धर्म के अनुयायी कृष्ण भगवान का जन्म स्थान मानते हैं।
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प्रेम मंदिर (वृंदावन)
प्रेम मंदिर मथुरा जिले के पास वृंदावन में मौजूद है। इसका निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज ने भगवान कृष्ण और राधा के मन्दिर के रूप में करवाया है। यह मंदिर काफी भव्य बनवाया गया है। इसमें पूरा संगमरमर का प्रयोग किया गया है और इसे राजस्थान और उत्तरप्रदेश के एक हजार शिल्पकारों ने तैयार किया है। यह प्रेम का प्रतिक माना जाता है।
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गोविंद देव मंदिर (जयपुर)
गोविंद देव जी का मंदिर भगवान श्री कृष्ण का राजस्थान का सबसे प्रसिध्द बिना शिखर का मंदिर है। बताया जाता है कि गोविंदजी की मूर्ती पहले वृंदावन में स्थापित थी जिसको सवाई जय सिंह द्वितीय ने अपने परिवार के देवता के रूप में यहां पुन: स्थापित किया था।
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जगन्नाथ मंदिर (पुरी)
पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। इस मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं। मध्य-काल से ही यह उत्सव अतीव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
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बांके बिहारी मंदिर ( वृंदावन)
बांके बिहारी मंदिर भारत में मथुरा जिले के वृंदावन धाम में रमण रेती पर स्थित है। यह भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
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उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर (कर्नाटक)
'उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर' कर्नाटक में स्थित है। इसकी स्थापना संत माधवचार्य ने 13वीं सदी में करवाया था। यह मंदिर लकड़ी और पत्थर से बना हुआ है। यहां माना जाता है कि एक बार भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित भक्त कनकदास को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नही दी गई थी। इस बात ने उन्हें परेशान नहीं किया, बल्कि उन्होंने और अधिक तन्मयता के साथ प्रार्थना की। भगवान कृष्ण उनसे इतने प्रसन्न हुए कि अपने भक्त को अपना स्वर्गीय रूप दिखाने के लिए मठ (मंदिर) के पीछे एक छोटी सी खिड़की बना दी। आज तक, भक्त उसी खिड़की के माध्यम से भगवान कृष्ण की अर्चना करते हैं, जिसके द्वारा कनकदास को एक छवि देखने का वरदान मिला था।
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द्वारकाधीश मंदिर (गुजरात)
द्वारकाधीश मंदिर गुजरात में स्थित है। यह हिंदुओं का प्रसिध्द धार्मिक स्थल माना जाता है। हिंदू धर्म के चार धामों में एक माना जाता है।
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श्रीनाथजी श्रीकृष्ण मंदिर (राजस्थान)
श्रीनाथजी श्रीकृष्ण भगवान के 7 साल की अवस्था के रूप हैं। इनका स्वरूप राजस्थान में उदयपुर के निकट राजसमन्द जिले के नाथद्वारा के श्रीनाथजी मन्दिर में विराजमान है।