हरियाणा के हिसार का राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता का एक सबसे प्राचीन स्थान साबित हो रहा है. यहां हुई खुदाई में ऐसे अवशेष मिले हैं जो अब तक इतिहास के किताबों में किए गए दावों से काफी पीछे ले जाते हैं.
खुदाई में मिले अवशेषों की हुई जांच पड़ताल के बाद यह तथ्य सामने आने लगे हैं कि राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ो से भी ज्यादा प्राचीन सभ्यता रही है.
यहां पूर्व हड़प्पा, परिपक्व हड़प्पा और उत्तर हड़प्पा संस्कृति के अवशेष मिले हैं. साथिया की खुदाई में मिले नर कंकाल के डीएनए टेस्ट से अब उस सिद्धांत के भी गलत हो जाने की पूरी संभावना है जिसमें आज तक दावा किया जाता रहा है कि आर्य बाहर से आए थे.
क्योंकि राखीगढ़ी में जो नर कंकाल मिला है उसके डीएनए टेस्ट से कुछ तथ्य सामने आए हैं. उसमें एक सबसे मजबूत तथ्य यह है कि वह कंकाल लगभग साढे 7000 साल पुराना है.
राखीगढ़ी न सिर्फ सबसे ज्यादा प्राचीन साबित हो रहा है. इसके साथ ही हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े नगर के रूप में भी इसकी पहचान बन गई है. यह लगभग 350 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है. खुदाई में जानकारी मिली है कि सरस्वती नदी की सहायक दृषद्वती नदी के दाहिने तट पर राखीगढ़ी की नगर सभ्यता बसी हुई थी.
यहां सबसे पहले 1963 में खुदाई शुरू हुई थी. फिर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने काल में बंद कर दी गई. फिर 2015 में खुदाई हुई और नर कंकाल बरामद हुआ और इतिहास बदलने के संकेत मिलने लगे. यदि पुरातत्व सर्वेक्षण में कहा जा रहा है कि राखीगढ़ी में जो सबूत मिले हैं उससे हड़प्पा सभ्यता के बारे में जो जानकारी है वह बदल जाएगी.
इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार के बजट में राखीगढ़ी के विस्तार के लिए पर्यटन स्थल बनाने के लिए वहां खुदाई करने के लिए हजारों करोड़ के बजट का प्रावधान किया है. जिसके बाद वहां हलचल तेज हो गई है.
राखीगढ़ी के टीले पर बसे लोगों को विस्थापित होने का भय सताने लगा है. सरकार ने भी यह साफ कर दिया है कि राखीगढ़ी के ऐतिहासिक क्षेत्र में जो गांव बसे हुए हैं और जिन लोगों के घर बने हुए हैं उन सब को विस्थापित किया जाएगा.
अब राखीगढ़ी में हलचल तेज हो गई है. केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी मुआयना किया और उसके विस्तार की योजना बताई.
खुदाई में मिली ईंट से ऐसा लगता है कि उस समय लोगों को ईंट पकाने के बारे में जानकारी थी.