सोर्स indianhistorypics ट्विटर हैंडल
स्वतंत्रता संग्राम से लेकर मजबूत और एकीकृत भारत के निर्माण में सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व सदैव प्रेरणा के रूप में देश के सामने रहेगा। उन्होंने युवावस्था में ही राष्ट्र और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया था। इस ध्येय पथ पर वह नि:स्वार्थ भाव से लगे रहे।
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जब वह वकील के दायित्व का निर्वाह कर रहे थे, तब उसमें भी मिसाल कायम की। जब वह जज के सामने जिरह कर रहे थे, तभी उन्हें एक टेलीग्राम मिला, जिसे उन्होंने देखा और जेब में रख लिया। उन्होंने पहले अपने वकील धर्म का पालन किया, उसके बाद घर जाने का फैसला लिया। तार में उनकी पत्नी के निधन की सूचना थी।
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देश को आजाद करने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के साथ ही कांग्रेस में एक बड़ा बदलाव आया था। इसकी गतिविधियों का विस्तार सुदूर गांव तक हुआ था।
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देश के सामने आजाद होने के तत्काल बाद इतनी रियासतों को एक रखने की चुनौती सामने थी। सरदार पटेल ने बड़ी कुशलता से एकीकरण का कार्य संपन्न कराया। इसमें भी उनका लौहपुरुष व्यक्तित्व दिखाई देता है।
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सरदार पटेल भारत की मूल परिस्थिति को गहराई से समझते थे। वह जानते थे कि जब तक अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान महत्वपूर्ण बना रहेगा, तब तक संतुलित विकास होता रहेगा।