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मीरा कुमार एक अच्छी कवियत्री है।
दिशाएं दस हैं, चार मुख्य, चार कोण और एक आकाश और एक पाताल मगर मुझे तो ग्यारहवीं दिशा में जाना है, जहाँ आस्थाओं के खंडहर न हो और बेबसी की राख पर संकल्प लहलहाए! ये पंक्तिया हैं सौम्य, सरल और विन्रम स्वभाव वाली मीरा कुमार की। उन्हें कविताएं पढ़ना और लिखना दोनों ही पसंद है। उनकी फेवरिट बुक है कालिदास की अभिज्ञान शाकुंतलम।
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मीरा कुमार का बतौर सासंद सफर
मीरा कुमार ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश से प्रारंभ किया। वर्ष 1985 में बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में उन्होंने जीत दर्ज कर संसद में कदम रखा। हालांकि इसके बाद हुए चुनाव में वह बिजनौर से पराजित हुईं। इसके बाद उन्होंने अपना क्षेत्र बदला और 8वीं, 11 वीं तथा 12 वीं लोकसभा के चुनाव में वह दिल्ली के करोलबाग संसदीय क्षेत्र से विजयी होकर फिर संसद पहुंचीं। 1999 के लोकस भा चुनाव में उन्हें करोलबाग सीट से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने अपने पिता की पारंपरिक सीट बिहार के सासाराम से साल 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव जीता। 2004 की यू० पी० ए० सरकार में, वे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रहीं। हालांकि, 2014 के चुनाव में उन्हें वहां से भी हार का सामना करना पड़ा।
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स्पीकर को तौर पर मीरा कुमार का सफर
मीरा कुमार इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हुईं 2009 में। देश की पहली महिला स्पीकर। साथ ही देश की दूसरी दलित स्पीकर भी। इससे पहले टीडीपी के जीएमसी बालयोगी इस पद तक पहुंच चुके थे। मगर उनकी प्लेन क्रैश में मौत हो गई थी।
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मीरा कुमार बड़े दलित नेता और भूतपूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं
मीरा कुमार बड़े दलित नेता और भूतपूर्व रक्षा मंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं। बिहार के कांग्रेस नेता और नेहरू कैबिनेट के सबसे यंग मेंबर जगजीवन राम थे। हालाकि दलित समुदाय से होने के कारण उनको बचपन से ही सामाजिक भेदभाव और छुआछूत का शिकार होना पड़ा।
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जब मीरा कुमार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था
मीरा कुमार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा जब उन्होंने एन० डी० ए० सरकार द्वारा लिए गए एक फैसले की अवमानना की। सन 2000 में, एन० डी० ए० सरकार ने एक फैसला लिया जिसके तहत किसी भी सरकारी आवास को संग्रहालय में परिवर्तित करना पूर्णतयः प्रतिबंधित हो गया। मीरा कुमार ने इस फैसले की अवमानना करते हुए अपने पिता (बाबू जगजीवन राम) को दिल्ली स्थित लुटियंस जोन में आबंटित सरकारी आवास को 'बाबू जगजीवन राम संग्रहालय' में परिवर्तित कर दिया।