नरेन्द्र मोदी की कहानी
मोदी के सत्ता संभालने के लगभग पांच महीने बाद ही गोधरा रेल हादसा हुआ जिसमें कई हिंदू कारसेवक मारे गए। इसके ठीक बाद फरवरी 2002 में ही गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ़ दंगे भड़क उठे। इन दंगों में सरकार के मुताबिक एक हजार से ज्यादा और ब्रिटिश उच्चायोग की एक स्वतंत्र समिति के अनुसार लगभग 2000 लोग मारे गए। इनमें ज्यादातर मुसलमान थे। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौर किया तो उन्होंनें उन्हें 'राजधर्म निभाने' की सलाह दी जिसे वाजपेयी की नाराजगी के संकेत के रूप में देखा गया।
नरेन्द्र मोदी की कहानी
मोदी पर आरोप लगे कि वे दंगों को रोक नहीं पाए और उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया। जब भारतीय जनता पार्टी में उन्हें पद से हटाने की बात उठी तो उन्हें तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और उनके खेमे की ओर से समर्थन मिला और वे पद पर बने रहे। गुजरात में हुए दंगों की बात कई देशों में उठी और मोदी को अमरीका जाने का वीजा नहीं मिला।
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नरेन्द्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को वड़नगर में दामोदार दास मूलचंद मोदी और हीराबेन के यहां हुआ। नरेन्द्र मोदी 5 भाई-बहनों में से दूसरे नंबर की संतान हैं और उन्हें बचपन में नरिया कहकर बुलाया जाता था। नरेन्द्र मोदी के पिता की रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान थी।
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प्रतिकात्मक फोटो
1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने स्टेशन से गुजर रहे सैनिकों को चाय पिलाई। नरेंद्र मोदी बचपन में आम बच्चों से बिलकुल अलग थे। उन्हें बचपन में एक्टिंग का बहुत शौक था। नरेन्द्र मोदी बचपन में स्कूल में एक्टिंग, वाद-विवाद, नाटकों में भाग लेते और पुरस्कार जीतते थे।
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नरेन्द्र मोदी स्कूल में भले ही औसत छात्र थे लेकिन अपने निजी जीवन में काफी बहादुर थे। वे एक बार शर्मिष्ठा तालाब से एक घड़ियाल का बच्चा पकड़कर घर लेकर आ गए। हालांकि मां के समझाने पर उसे वापस तालाब में छोड़कर आए।
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नरेन्द्र मोदी की कहानी
नरेन्द्र मोदी बचपन में साधु-संतों से काफी प्रभावित हुए थे और इसलिए बचपन से ही संन्यासी बनना चाहते थे। संन्यासी बनने के लिए मोदी घर से भाग गए थे और इस दौरान मोदी पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम सहित कई जगहों पर घूमते रहे।
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नरेन्द्र मोदी की कहानी
नरेंद्र मोदी बचपन से ही आरएसएस से जुड़े हुए थे। 1958 में दीपावली के दिन गुजरात आरएसएस के पहले प्रांत प्रचारक लक्ष्मण राव इनामदार उर्फ वकील साहब ने नरेंद्र मोदी को बाल स्वयंसेवक की शपथ दिलवाई थी। वे बहुत मेहनती कार्यकर्ता थे। वे आरएसएस के बड़े शिविरों के आयोजन में मैनेजमेंट का हुनर दिखाते थे।
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मोदी को 1995 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया। इसके बाद 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया। इस पद पर वो अक्टूबर 2001 तक रहे। लेकिन 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी गई।
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इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने गुजरात के विकास को मुद्दा बनाया और दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2012 तक मोदी का बीजेपी में कद इतना बड़ा हो गया कि उन्हें पार्टी के पीएम उम्मीदवार के रूप में देखा जाने लगा।
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20 दिसंबर, 2012 को मोदी ने तीसरी बार बहुमत हासिल करते हुए अपनी सत्ता का डंका बजाया। नरेंद्र मोदी तकनीक का इस्तेमाल भी बखूबी करते हैं। अगर आज फेसबुक और ट्विटर पर देखें तो सबसे ज्यादा उनके फॉलोअर्स मिल जाएंगे। इंटरनेट पर पॉपुलर नेताओं की सूची में वो अव्वल हैं।
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मई 2014 में नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद संभालते हुए देश के समावेशी विकास की यात्रा पर निकल पड़े हैं जहां हर भारतीय अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा कर सके। वे ‘अंत्योदय’, यानि कि अंतिम व्यक्ति तक सेवा पहुंचाने के सिद्धांत से प्रेरित हैं।