जानें उन यहूदियों को जिन्होंने भारत में रहकर दिया है खास योगदान (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय इज़राइल की यात्रा पर हैं। यहूदियों धर्म को मानने वाले इस देश की यात्रा से दोनों देशों के संबंधों के मज़बूत होने की उम्मीद है। लेकिन भारत में यहूदी समुदाय सदियों से रहता आया है और उसने देश के निर्माण और विकास में काफी योगदान दिया है। यहूदी समुदाय की संख्या देश में कम है। इज़राइल बनने के बाद कई यहूदी वहां चले गए। लेकिन बहुत से यहूदी अब भी भारत में हैं। जो कला, शिक्षा और व्यापार के क्षेत्र में हैं। आइये जानते हैं यहूदी समुदाय से जुड़े कुछ हस्तियों से-
निसिम एजकील (फाइल फोटो)
निसिम एजकील: निसिम एजकील यहूदी समुदाय के भारतीय कवि, कलाकार, कथाकार, संपादक और आर्ट क्रिटिक थे। आज़ादी के बाद इन्होंने भारतीय लेखकों को अंग्रेज़ी में लिखने के लिये प्रेरित करने के लिये जाना जाता है। इन्हें साहित्य अकादमी से भी नवाज़ा गया।
लेफ्टिनेंट जेएफआर जैकब (फाइल फोटो)
लेफ्टिनेंट जेएफआर जैकब भारतीय सेना के अधिकारी रहे हैं। 1971 की भारत पाकिस्तान की लड़ाई और बांग्लादेश बनाने में इन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। वो पूर्वी पूर्वी कमान के प्रमुख थे। अपने 36 साल के करियर में द्वितीय विश्व युद्ध और 1965 की भारत-पाक का युद्ध भी लड़ा। वे गोवा आर पंजाब के गवर्नर भी रहे।
पर्ल पदमसी (फाइल फोटो)
पर्ल पदमसी भारतीय थियेटर की जानी मानी हस्ती रही हैं। भारत में अंग्रेजी थियेटर की निदेशक और प्रोड्यूसर भी थीं। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया है। खट्टा-मीठा, जुनून, बातों बातों में कामसूत्र जैसी फिल्मों में काम किया है।
फ्लोरेंस ईज़कील नादिरा (फाइल फोटो)
फ्लोरेंस ईज़कील नादिरा जिन्हें हिंदी फिल्म देखने वाले नादिरा के नाम से जानते हैं। वो 50 से 70 के दशक में हिंदी फिल्मों में सक्रिय रहीं। श्री 420, पाकीज़ा और जूली उनकी प्रमुख फिल्में रही हैं।
एली बेन मेनाचेम (फाइल फोटो)
एली बेन मेनाचेम: मेनाचेम का जन्म भारत में हुआ था। लेकिन वो 1949 में इज़राइल चले गए। वहां वो मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष बने और इज़राइल में सांसद भी चुने गए। वो इज़राइली प्रधानमंत्री के कार्यालय में अप मंत्री भी रहे।
रूबी मायर्स (फाइल फोटो)
रूबी मायर्स बॉलिवुड की साइलेंट फिल्मों की जानी मानी कलाकार रही हैं। फिल्मी दुनिया में उन्हें सुलोचना के नाम से जानते हैं। ये बगदादी यहूदी थे। वे उस समय की सबसे महंगी कलाकार रही थीं। उन्हें दादा साहेब फाल्के अवार्ज से नवाज़ा गया था।