9/11 हमला
11 सितंबर 2001 इतिहास का वो काला दिन था जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें हुई। इस हमले में करीब 3000 लोगों की मौतें हुईं थी जिसके बाद अफगानिस्तान और इराक में जो युद्द लड़े गए उनमें लाखों लोगों की मौत के साथ कई पीढ़ियों को भी तबाह कर दिया।
खालिद शेख
खालिद शेख मोहम्मद को 1 मार्च 2003 को रावलपिंडी, पाकिस्तान में सीआईए के साथ काम कर रहे पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों द्वारा पकड़ा गया था और अभी ग्वातोनामो बे (कारावास) में रखा गया है। अप्रैल 2002 में, खालिद शेख मोहम्मद ने पवित्र मंगलवार के ऑपरेशन में रैम्जी बिनाल शिभ के साथ अपनी भागीदारी स्वीकार की थी।
रमज़ी बिन अल शिब
रमज़ी बिन अल शिब 9/11 के हमलों में 'की-फैसिलेटर' के रूप में मशहूर आतंकवादी एक यमन नागरिक है जिस पर अपहरणकर्ताओं की मदद करने का आरोप है। वह वर्तमान में गुआंतानामो बे में पुलिस की हिरासत में है।
मुस्तफा अहमद अल-हव्सावी
वह कथित तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका में 9/11 के हमलों में आयोजक और फाइनेंसर था,उस पर पैसे का प्रबंधन, यात्रियों की जांच, हवाई टिकट, पश्चिमी कपड़े और क्रेडिट कार्ड प्रदान करने की जिम्मेदारी थी। अल-हव्सावी को 1 मार्च 2003 को पाकिस्तान में खालिद शेख मोहम्मद के साथ पकड़ा गया था।
अमार अल-बलूची
अमार अल-बलूची खालिद शेख मोहम्मद का भतीजा और लेफ्टिनेंट है। वह एक कंप्यूटर तकनीशियन है जिस पर 9/11 के अपहरणकर्ताओं के लिए धन उपलब्ध कराने का आरोप है।
वालिद बिन अताश
9/11 के हमलों के अपहरणकर्ताओं को प्रशिक्षित करने और औपचारिक रूप से उनकी मदद करने का आरोप वालिद बिन अताश पर है। अताश एक यमन नागरिक है, जिस पर यमन में यूएसएस कोल के 2000 बमबारी में षड्यंत्र करने का आरोप है। इस हमले में 17 नाविक को मारे गये थे। राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय ने वालिद को आतंकवादी परिवार का वंशज बताया है।