अरण्यकांड 2
नवरात्रि के मौके पर न्यूज स्टेट के स्पेशल कवरेज में आज आपको बताएंगे रामायाण के अरण्य कांड के बारे में। इस भाग में हम आपको बताएंगे कि कैसे रावण ने छल से माता सीता का अपहरण किया। वाल्मीकि द्वारा लिखे गये रामायण में सात कांड (बालकांड, अयोध्याकांड अरण्यकांड, किष्किन्धाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड, उत्तरकांड) का जिक्र है।
मारिची को मोक्ष की प्राप्ति
राम उस मृग का पीछा करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल आए। आख़िरकार भगवान श्री राम के हाथों मारिची नाम के उस बहरुपिये को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
माता सीता की रक्षा के लिए 'लक्ष्मणरेखा'
श्रीराम को वापस आश्रम पहुंचने में काफी देर हो रही थी। लक्षमण भारी दुविधा में माता सीता के आग्रह पर राम को ढूंढ़ने निकले। लेकिन माता सीता की रक्षा के लिए रेखा खींच गए।
भिक्षुक के रूप में रावण
अकेली सीता को देख रावण ब्राह्मण रुप में भिक्षाटन के लिए आया और उनसे लक्षमण रेखा के बाहर आकर दान देने को कहा।
सीता का अपहरण कर ले जाता रावण
सीता ब्राहमण के आग्रह पर रेखा लांघ गईं, तभी रावण अपने असली वेष में आ गया और माता सीता को अपने कंधे पर उठाकर अपनी पुष्पक विमान की तरफ रवाना हो गया।
घायल जटायू
रास्ते में सीता की चीख़ सुनकर जटायु पुष्पक विमान की तरफ झपटा। काफी देर तक रावण और जटायू के बीच लड़ाई चलती रही। आख़िर में जटायू रावण के तलवार से घायल होकर ज़मीन पर गिर पड़ा।