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मार्शल ऑफ IAF अर्जन सिंह के ऐसे कारनामे जिसे जानकर आप वायुसेना पर करेंगे गर्व

The Marshal of Indian Air Force Arjan Singh, 98, passed away following cardiac arrest on Saturday. He was admitted in a critical condition at the Research and Referral Hospital in New Delhi

News Nation Bureau | Updated : 16 September 2017, 10:11:30 PM
मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह, फोटो - ट्विटर

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मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह का आज 98 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। आज वो हमारे बीच नहीं है लिकेन उनकी अदम्य साहस और वीरता की कहानी हमेशा हर भारतीयों के खून में जोश भरता रहेगा। सिर्फ 19 साल की उम्र में वायुसेना ज्वाइन करने वाले अर्जन सिंह के मात्र ऐसे सैन्य अधिकारी थे जिन्हें फील्ड मार्शल के बराबर फाइव स्टार रैंक से नवाजा गया था। अर्जन सिंह सिर्फ 44 के उम्र में भारतीय वायुसेना के चीफ बनने गए थे। आज हम बताते हैं उनके 10 बड़े कारनामें जो आप में कुछ करने का जोश भर देगा।
मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह, फोटो - ट्विटर

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मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह के बहादुरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1965 में जब पाकिस्तानी सेना ने टैंको के साथ अखनूर शहर पर हमला कर दिया तो रक्षा मंत्रालय ने तुरंत वायुसेना प्रमुख अर्जन सिंह को तलब किया। सरकार ने उनसे पूछा कि वो कितनी देर में पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई के लिए एयरफोर्स को तैयार कर सकते हैं। अर्जन सिंह ने सरकार से सिर्फ 1 घंटे का समय मांगा। उसके बाद उन्होंने अपने नेतृत्व में 1 घंटे से भी कम समय में पाकिस्तानी सेना और टैंकों पर बम बरसाना शुरू कर दिया।
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वायुसेना की अदम्य साहस की बदौलत भारत ने युद्ध में पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए। उन्हें भारत सरकार ने 1 अगस्त 1964 को मार्शल पद के साथ ही चीफ ऑफ एयर स्टाफ बनाया।
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वायुसेना की अदम्य साहस की बदौलत भारत ने युद्ध में पाकिस्तान के दांत खट्टे कर दिए। उन्हें भारत सरकार ने 1 अगस्त 1964 को मार्शल पद के साथ ही चीफ ऑफ एयर स्टाफ बनाया।
मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह, फोटो - ट्विटर

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देश की आजादी से पहले सिर्फ 19 साल की उम्र उन्होंने रॉयल एयरफोर्स ज्वाइन किया था जिसके बाद इन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा में बतौर फाइटर पायलट और कमांडर बेहद साहस के साथ युद्ध लड़ा था।
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अर्जन सिंह की बदौलत ही ब्रिटिश भारतीय सेना इंफाल पर कब्जा कर पाने में सफल हुई थी जिसके बाद इन्हें डीएसफी की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
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जब हमारा देश आजाद हुआ तो पहले स्वतंत्रता दिवस पर इनके नेतृत्व में ही वायुसेना के 100 से ज्यादा विमानों ने लाला किले के ऊपर से फ्लाइंग पास्ट किया था।
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अर्जन सिंह को उनकी वीरता और वायुसेना के लिए किए गए सराहनीय कामों के लिए साल 1965 में पद्म विभूषण के सम्मान से भी नवाजा गया था।