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कित्तूर की रानी चेनम्मा
आज के कर्नाटक में कभी कित्तूर नाम राज्य था, जहां 1778 में चेनम्मा का जन्म हुआ. रानी चेनम्मा ने 1824 में अंग्रेजों से जंग लड़ी.
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कहा जाता है कर्नाटक की लक्ष्मीबाई
पहली जंग में चेनम्मा ने अंग्रेजों को धूल चटा दी और कई अंग्रेज अफसर मारे गए. अंग्रेजों को संधि करनी पड़ी. पर बाद में छल से अंग्रेजों ने चेनम्मा को हरा दिया और चेनम्मा वीरगति को प्राप्त हुईं. इन्हें कर्नाटक की लक्ष्मीबाई भी कहा जाता है.
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काकोरी का बाल नायक मन्मथनाथ
1925 में हुए काकोरी कांड में एक 14 साल का बच्चा भी शामिल था, जिसका नाम मन्मथनाथ गुप्त था. उन्हें इस छोटी से उम्र में 14 साल कैद की सजा अंग्रेजों ने दी.
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अंग्रेजों के खिलाफ चलाई कलम
मन्मथनाथ गुप्त 1937 में जेल से रिहा हुए तो अंग्रेजों के खिलाफ लेख लिखने लगे. इस कारण इन्हें फिर से 1939 में जेल में कैद कर दिया गया. 1946 को यह रिहा हुए और फिर अंग्रेजों के खिलाफ लिखने लगे. आजादी के बाद भी उन्होंने आजादी के संघर्ष पर अनेक किताबें लिखीं.
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विदेशों से सरदार आने लगे स्वदेश
लाला हरदयाल ने जेनेवा में वंदे मातरम और अमेरिका में हिंदुस्तान गदर पत्रिका निकाली थी. उनके भाषणों को सुनकर विदेशों में रह रहे सिखों ने पलायन शुरू कर दिया था. 1938 में भारत आकर इन्होंने प्राण त्याग दिए.
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आजाद हिंद फौज की नींव रखने वाले- रास बिहारी बोस आजाद हिंद फौज का गठन सुभाष चंद्र बोस ने किया लेकिन इसकी नींव रखने वाले थे रास बिहारी बोस. यह 1911 में वायसराय पर बम फेंकने की योजना बनाने वालों में शामिल थे. बाद में छिपकर जापान चले गए
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जापान में भारत की आजादी का प्रयास
रास बिहारी बोस ने जापान में इंडियन इंडिपेंडेट लीग की स्थापना की थी. इसी की शाखा के रूप में इंडियन नेशनल आर्मी का गठऩ किया गया. बाद में सुभाष चंद्र बोस ने इसी का पुनर्गठन आजाद हिंद फौज के रूप में किया.
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सभी सेनानियों को है नमन
ऐसे तमाम स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनको आज युवा पीढ़ी भूलने लगी है लेकिन भारत की हवाओं में इन अमर बलिदानियों के गीत सदा गूंजते रहेंगे.
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स्वतंत्रता दिवस पर महात्मा गांधी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, राम प्रसाद बिस्मिल, मंगल पांडे सहित तमाम स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है पर आज हम कुछ ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके योगदान के बारे में कम ही लोगों को पता है.
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विदेश में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति करने वाले लाला हरदयाल
1913 में अंग्रेजों के खिलाफ सैन फ्रांसिस्को में गदर पार्टी की स्थापना करने वालों में महत्वपूर्ण नाम था लाला हरदयाल का. इससे पहले इन्होंने विदेशी स्कॉलरशिप छोड़कर देशभक्त समाज और यंग मैन आफ इंडिया ऐसोसिएशन जैसी संस्थाओं की स्थापना की थी.
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कहा जाता है कर्नाटक की लक्ष्मीबाई
पहली जंग में चेनम्मा ने अंग्रेजों को धूल चटा दी और कई अंग्रेज अफसर मारे गए. अंग्रेजों को संधि करनी पड़ी. पर बाद में छल से अंग्रेजों ने चेनम्मा को हरा दिया और चेनम्मा वीरगति को प्राप्त हुईं. इन्हें कर्नाटक की लक्ष्मीबाई भी कहा जाता है.
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अंग्रेजों के खिलाफ चलाई कलम
मन्मथनाथ गुप्त 1937 में जेल से रिहा हुए तो अंग्रेजों के खिलाफ लेख लिखने लगे. इस कारण इन्हें फिर से 1939 में जेल में कैद कर दिया गया. 1946 को यह रिहा हुए और फिर अंग्रेजों के खिलाफ लिखने लगे. आजादी के बाद भी उन्होंने आजादी के संघर्ष पर अनेक किताबें लिखीं.
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lala hardayal
विदेशों से सरदार आने लगे स्वदेश
लाला हरदयाल ने जेनेवा में वंदे मातरम और अमेरिका में हिंदुस्तान गदर पत्रिका निकाली थी. उनके भाषणों को सुनकर विदेशों में रह रहे सिखों ने पलायन शुरू कर दिया था. 1938 में भारत आकर इन्होंने प्राण त्याग दिए.
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ram bihari
जापान में भारत की आजादी का प्रयास
रास बिहारी बोस ने जापान में इंडियन इंडिपेंडेट लीग की स्थापना की थी. इसी की शाखा के रूप में इंडियन नेशनल आर्मी का गठऩ किया गया. बाद में सुभाष चंद्र बोस ने इसी का पुनर्गठन आजाद हिंद फौज के रूप में किया.
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सभी सेनानियों को है नमन
ऐसे तमाम स्वतंत्रता सेनानी हैं जिनको आज युवा पीढ़ी भूलने लगी है लेकिन भारत की हवाओं में इन अमर बलिदानियों के गीत सदा गूंजते रहेंगे.