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रामनाथ कोविंद
65.65 प्रतिशत मत हासिल करके एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद भारत के 14वें राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुके हैं। उनका मुकाबला यूपीए की प्रत्याशी मीरा कुमार से था जिन्हें 34.35 प्रतिशत वोट मिले। आंकड़ों के आधार पर पहले से ही कोविंद की जीत तय मानी जा रही थी। देश के 14वें राष्ट्रपति बनने से पहले कोविंद बिहार के राज्यपाल थे। कोविंद का जन्म कानपुर देहात में 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था। कोविंद ने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में करीब 16 साल तक वकालत की। वह 1994 में यूपी से राज्यसभा के लिए चुने गए और लगातार 2 बार उच्च सदन के सदस्य रहे। 1998 से 2002 तक बीजेपी के दलित मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे।
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प्रणव मुखर्जी
वित्त मंत्री का काम कर चुके प्रणव मुखर्जी ने 13वें राष्ट्रपति चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी पी. ए. संगमा को हराया। 22 जुलाई को हुई वोटों की गिनती में प्रणव मुखर्जी को 7,13,763 वोट मिले, जबकि संगमा को 3,13,987 वोट मिले। प्रणव मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में 11 दिसंबर 1935 को हुआ। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद वह राजीव गांधी की समर्थक मंडली के षड्यंत्र के शिकार हुए।
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श्रीमती प्रतिभा देवी पाटिल
श्रीमती प्रतिभा देवी पाटिल भारत की बारहवीं और पहली महिला राष्ट्रपति बनीं। राष्ट्रपति चुनाव में इन्होंने भैरों सिंह शेखावत को हराया था। 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति का पद संभालने वालीं प्रतिभा पाटिल और उनका परिवार हमेशा विवादों में रहा। राष्ट्रपति से पहले कांग्रेस की सरकार ने पाटिल को 2004 में राजस्थान का राज्यपाल बनाया था। वह 2007 तक राज्यपाल रहीं।
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डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले जन्में डॉक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 25 जुलाई 2002 को भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति बने। एक ऐसा व्यक्ति जो 'जीने लायक धरती का निर्माण' करना चाहते थे। दुनिया कहती थी कि वे मिसाइल बनाते थे लेकिन पैगाम-ए-मोहब्बत के सिवा और कुछ नही दिया एक ऐसा राष्ट्रपति जो 'आम लोगों के राष्ट्रपति' थे। जी हां कुछ ऐसे थे हमारे ग्यारवें राष्ट्रपति अबुल पकिर जैनुला आब्दीन अब्दुल कलाम यानि अब्दुल कलाम। सिद्धांतों पर चलने वाले कलाम जिन्होंने अंतिम सांस तक देश की सेवा की बात की। जिन्होंने युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूलों-कॉलेजों में छात्रों के सेमिनारों में जाते थे। जिससे की युवा पीढ़ी को समृद्ध किया जा सके।
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केआर नारायण
.भारत के दसवें राष्ट्रपति के आर नारायणन भारत के पहले दलित राष्ट्रपति हुए। नारायणन राजनीति में आने के बावजूद हमेशा ही अपने विचारों को लेकर काफी सटीक रहे। बतौर राष्ट्रपति नारायणन ने हमेशा ही संसदीय मर्यादा का ख़्याल रखा और सभी तरह की दलगत राजनीति से उपर उठकर काम किया। 6 दिसम्बर, 1992 को जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, तब नारायणन ने इसे 'महात्मा गांधी की हत्या के बाद देश में सबसे बड़ी दुखांतिका' करार दिया था। नारायणन ने 25 जुलाई, 1997 से 25 जुलाई, 2002 तक देश के राष्ट्रपति का पद संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान हिंदु्स्तान के राजनीती में कुछ बड़े राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिलें।
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शंकर दयाल
देश के ऐसे राष्ट्रपति जिनके शासनकाल में देश ने तीन अलग-अलग प्रधानमंत्रियों को शपथ लेते हुए देखा, वह थे शंकर दयाल शर्मा। ये पहले ऐसे नेता थे जो अपनी क्षमताओं की दम पर इस मुकाम पर पहुंचे थे। भोपाल राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में भी इन्होंने अहम भूमिका निभाई है। डॉ शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 में भोपाल में हुआ था। इनके पिता पं. खुशीलाल शर्मा एक मशहूर वैद्य थे। उस वक्त भोपाल नवाबों का शहर था।
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रामास्वामी वेंकटरमण
रामास्वामी वेंकटरमण, भारत के आठवें राष्ट्रपति थे। वकालत करने वाले वेंकटरमण चार साल तक भारत के उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं। उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की थी। वह एक कुशल और परिपक्व राजनेता ही नहीं, एक बेहद सुलझे हुए और अच्छे इंसान भी थे। कई सर्वोच्च पदों पर रहते हुए उन्होंने लंबे समय तक देश की सेवा की। वेंकटरमण भारत छोड़ो जैसे आंदोलन में हिस्सा ले चुके थे इसके साथ ही वह संविधान सभा के सदस्य भी चुने गए थे। वे चार बार लोक सभा के लिए चुने गए और केंद्र सरकार में वित्त और रक्षा मंत्री भी रह चुके हैं।
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ज्ञानी जैल सिंह
ज्ञानी जैल सिंह, भारत के सांतवें और अब तक के पहले और इकलौते सिख राष्ट्रपति थे। पढाई से हमेशा जी चुराने वाले ज्ञानी जैल सिंह, स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाए थे। राष्ट्रपति तद तक पहुंचने के लिए उनकी सीढ़ी बना उनका आध्यात्म और गांधी परिवार के साथ निकटता। पंडित जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तीनों की ही पसंद रहे ज्ञानी जैल सिंह, जिनका असली नाम जरनैल सिंह था।
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नीलम संजीव रेड्डी
नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे और सबसे युवा राष्ट्रपति थे। इन्होंने 25 जुलाई 1977 से राष्ट्रपति पद को संभाला था। रेड्डी अब तक के इकलौते राष्ट्रपति हैं जो निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। नीलम संजीव रेड्डी ने दो बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा था। पहली बार में उन्हें वी वी गिरी से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन दूसरी बार उम्मीदवार बनाए जाने पर वो निर्विरोध राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। इनका जन्म 19 मई 1913 को अनंतपुर जिले, आंध्रप्रदेश के एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। नीलम संजीव रेड्डी का निधन निमोनिया के कारण 1 जून 1996 में हो गया था।
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फखरुद्दीन अली अहमद
फखरुद्दीन अली अहमद भारत के 5वें राष्ट्रपति थे। बतौर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली 1974 से 1977 तक पद पर रहे। फ़ख़रुद्दीन अली अहमद के रूप में जब दूसरा मुस्लिम व्यक्ति भारत का राष्ट्रपति बना तो यह स्पष्ट हो गया कि भारतीय संवैधानिक धर्मनिरपेक्षता का विश्व में कोई सानी नहीं है।
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वराहगिरी वेंकट गिरी
वराहगिरी वेंकट गिरी (वी.वी. गिरी) ने 24 अगस्त 1969 को भारत के चौथे राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया। डॉक्टर जाकिर हुसैन की असामयिक मौत के बाद वह बतौर कार्यकारी राष्ट्रपति पदभार संभाल चुके थे। राष्ट्रपति चुनाव में इन्होंने नीलम संजीव रेड्डी को हराया था। वी.वी गिरी को 1975 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
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डॉ. जाकिर हुसैन
डॉ. जाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे और एक राष्ट्रपति के तौर पर उनका सबसे छोटा कार्यकाल रहा है। वो भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे और कार्यकाल के दौरान ही उनका निधन हुआ। जाकिर हुसैन एक शिक्षाविद् थे और जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक सदस्य भी रहे। उनका जन्म 8 फरवरी 1897 को आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में हुआ था। उनका परिवार उत्तर प्रदेश में आकर बस गया था और वहीं पर इनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा हुई थी। वे एक संपन्न और शिक्षित परिवार से संबंध रखते थे।
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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में 5 सितंबर 1888 को हुआ था। राधाकृष्णन शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में खूब दिलचस्पी रखते थे। इस दौरान उन्होंने स्वामी विवेकानंद और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर को पढ़ा और वह इन दोनों से ही बहुत प्रभावित हुए। आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक शिक्षाविद तो थे ही साथ ही महान दार्शनिक, महान वक्ता और भारतीय संस्कृति को बारीकी से जानने वाले थे। राधाकृष्णन का जीवन बहुत ही अनुशासित था। उन्होंने राजनीति में आने से पहले अपने जीवन के 40 साल अध्यापन के लिए दिए थे।
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डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म बिहार के सीवान जिले के एक छोटे से गांव जीरादेई में 3 दिसम्बर, 1884 को हुआ था। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इकलौते राष्ट्रपति थे जिन्हें दो बार इस पद पर बने रहने का मौका मिला। सवैधानिक रूप से पहली बार डॉ. राजेन्द्र प्रसाद 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति बने। वहीं 1952 में पहली चुनी हुई संसद ने उन्हें विधिवत रुप से पहला राष्ट्रपति बनाया। 13 मई 1952 को उन्होंने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति बने। केटी शाह उनके प्रतिद्वंद्वी थे। इस चुनाव कुल 6,05,386 वोट पड़े। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 5,07,400 वोट मिले, जबकि केटी शाह को 92,827 वोट मिले।