हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। फिर भी हिन्दी एक ऐसी भाषा है जो देश के ज्यादातर हिस्सों में बोली जाती है। हिन्दी भाषा के व्यापक स्वरूप को देखते हुए ही अक्सर इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग होती रही है। हिन्दी को जानने, समझने और बोलने वाले लोग देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं। हिन्दी केवल हिन्दुओं या कुछ मुट्ठीभर लोगों की भाषा नहीं है, बल्कि देश के लाखों-करोड़ों लोगों के संवाद का सर्वाधिक सहज और सरल माध्यम है। हिन्दी की इसी विशिष्टता को समझते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी के बाद एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा था, "जैसे अंग्रेज अपनी मातृभाषा अंग्रेजी में बातचीत करते हैं और उसे अपने दैनिक जीवन में प्रयोग में लाते हैं, उसी तरह मेरा आप सब देशवासियों से विनम्र निवेदन है कि आप हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने का गौरव प्रदान करें। हिन्दी हम सब समझते हैं इसलिए इसे राष्ट्रभाषा बनाने की दिशा में सहयोग करके हम सबको अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।" आइये जानते हैं कि हिन्दी भाषा को लेकर भारत के महापुरुषों के क्या विचार रहें हैं-
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"यदि स्वदेशाभिमान सीखना है तो मछली से जो स्वदेश (पानी) के लिये तड़प तड़प कर जान दे देती है।" - सुभाषचंद्र बोस
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"संस्कृत मां, हिंदी गृहिणी और अंग्रेजी नौकरानी है।" - डॉ. फादर कामिल बुल्के
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"सच्चा राष्ट्रीय साहित्य राष्ट्रभाषा से उत्पन्न होता है।" - वाल्टर चेनिंग
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूँगा है।" - महात्मा गाँधी
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"हिंदी विश्व की महान भाषा है।" - राहुल सांकृत्यायन
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिनके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है।" - मैथिलीशरण गुप्त
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता।" - डॉ. राजेन्द्रप्रसाद
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"हिंदी स्वयं अपनी ताकत से बढ़ेगी।" - पं. जवाहरलाल नेहरू
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।" - स्वामी दयानंद सरस्वती
हिंदी भाषा पर महापुरुषों के विचार
"मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता।" - विनोबा भावे