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'हरतालिका तीज'
'हरतालिका तीज' इस बार 24 अगस्त को मनाई जा रही है। यह सुहागिनों के लिए सबसे बड़े पर्वों में से एक है। इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है।
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भगवान शिव और मां पार्वती
हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया मनाया जाता है। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व होता है इसलिए इस व्रत में भगवान शिव और मां पार्वती का पूजन किया जाता है।
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'हरतालिका तीज'
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत तोड़ दिया जाता है। वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के बाद ही व्रत तोड़ा जाता है।
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'हरतालिका तीज'
इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं। सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत करती हैं।
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माता पार्वती-भगवान शिव
इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए रखा था। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि देवी पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया और वरदान में उन्हें ही मांग लिया इस व्रत को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है। मान्यता ये भी है कि इस दिन को 'हरतालिका' इसीलिए कहते हैं कि पार्वती की सहेली उनका हरण कर घनघोर जंगल में ले गई थी। 'हरत' अर्थात हरण करना और 'आलिका' अर्थात सहेली। इसलिए भी इसे 'हरतालिका' नाम से जाना जाता है।
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'हरतालिका तीज'
इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है।
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'हरतालिका तीज' की पूजन सामग्री
गीली मिट्टी या बालू रेत। बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल, आंकड़े का फूल, मंजरी, जनैव, वस्त्र व सभी प्रकार के फल एंव फूल पत्ते आदि। पार्वती मॉ के लिए मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि। श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद पंचामृत के लिए।
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'हरतालिका तीज' की विधि
हरितालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है। इस दिन शंकर-पार्वती की बालू या मिट्टी की मूति बनाकर पूजन किया जाता है। घर को स्वच्छ करके तोरण-मंडप आदि सजाया जाता है। यह निर्जल व्रत है, जिसमें व्रत करने वाली महिलाएं बिना कुछ खाए-पिए व्रत रहती हैं। दूसरे दिन सुबह नदी में शिवलिंग और पूजन सामग्री का विसर्जन करने के साथ यह व्रत पूरा होता है। ऐसा माना जाता है कि जो स्त्री पूरे विधि-विधान से इस व्रत को संपन्न करती है। इस व्रत को सफल पूर्वक अखंड सौभग्य के साथ पति की लम्बी आयु की मनोकामना शिवजी से मांगती है।
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'हरतालिका तीज'
भक्तों में मान्यता है कि हरतालिका व्रत को विधि पूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।