1938: फेसिस्ट सैल्यूट
यह विवाद दूसरे विश्व युद्ध से दो साल पहले का मामला है। जब 4 जून से 19 जून 1938 तक फ्रांस की मेजबानी में फीफा खेला गया था। इस टूर्नामेंट में इटली और फ्रांस के बीच 12 जून को क्वॉर्टर फाइनल मुकाबला खेला गया जिसमें तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के कहने पर इटली की टीम ने सफेद के बजाय काली शर्ट पहनी थी। यही नहीं, पूरी टीम ने मैच शुरू होने से पहले फासी वाला सैल्यूट करके हड़कंप मचा दिया। यह मैच इटली ने 3-1 से जीता था।
1962: 'सैंटियागो की लड़ाई'
1962 विश्व कप फीफा इतिहास की सबसे हिंसक घटनाओं में से एक है। 2 जून को मेजबान चिली और इटली के बीच मैच खेला गया। इस मुकाबले के दौरान दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच जमकर मारपीट हुई थी। मैच के दौरान रेफरी केन एस्टन ने दो खिलाड़ियों को मैदान के बाहर भेज दिया था, जिनकी वजह से ही पीले और लाल कार्ड की शुरुआत हुई।
1986 : मैराडोना का हैंड ऑफ गॉड
22 जून, 1986 को इंग्लैंड और अर्जेंटीना के बीच हुए मुकाबले के दौरान अर्जेंटीना के डिएगो मैराडोना के हैंड ऑफ गॉड को भला कौन भूल सकता है। इस मैच में अर्जेंटीना के डिएगो मैराडोना ने दो गोल दागकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। उनका पहला गोल हाथ से किया गया था, जिसे रेफरी देख नहीं पाए थे। इंग्लिश खिलाड़ियों ने फाउल की अपील की, लेकिन रेफरी ने इसे स्वीकार नहीं किया और अर्जेंटीना के खाते में गोल दर्ज हो गया। बाद में मैराडोना ने कहा कि ऐसा जानबूझकर नहीं किया था और उसे हैंड ऑफ गॉड करार दिया।
2006: जिदान का हेडबट
9 जुलाई, 2006 को इटली और फ्रांस के बीच मैच में महान फुटबॉलर जिनेदिन जिदान के करियर पर लगा इकलौता दाग, जिसे वह चाहकर भी अब नहीं धो सकते। इटली के खिलाफ फाइनल में जिदान ने टीम को शुरुआती बढ़त दिलाई। मैच पेनल्टी शूटआउट की तरफ बढ़ता दिख रहा था। इसी दौरान मातेराजी ने कुछ ऐसा कहा, जिससे जिदान भड़क गए और उन्हें सिर से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि इटली के मार्को मातेराजी मैदान में गिर पड़े। इसके बाद रेफरी ने जिदान को लाल कार्ड दिखाकर मैदान से बाहर कर दिया। फ्रांस की टीम यह मुकाबला 3-5 से हार गई।
2014: लुइस सुआरेज ने दांत से काटा
2014 में उरुग्वे के स्टार स्ट्राइकर लुइस सुआरेज ने 24 जून, 2014 को इटली के साथ खेले गए ग्रुप मैच के 79वें मिनट में इटली के डिफेंडर जिर्योजियो चिलिनी को विवाद के चलते कंधे पर दांत काट लिया था। चिलिनी के दिखाने के बावजूद रेफरी मार्को रॉड्रिग्ज ने ध्यान नहीं दिया और इटली को सिर्फ फ्री किक का मौका दिया। इटली यह मैच 1-0 से हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी। बाद में सुआरेज पर कार्रवाई की गई। उन्हें फुटबॉल संबंधित गतिविधियों से चार महीने के लिए निलंबित किया गया। इसके अलावा भारी जुर्माने के साथ उन पर 9 अंतरराष्ट्रीय मैच का प्रतिबंध भी लगाया गया।