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त्योहारों का मौसम शुरू हो चूका है गणपति विसर्जन के बाद लोग दुर्गा पूजा की तैयारियों में जुट गए हैं। कोलकाता से लेकर लखनऊ तक हर तरफ मां की मूर्तियां तैयार हो रही हैं। सितंबर महीने के अंत में मनाये जाने वाले शारदीय नवरात्र और दुर्गा पूजा के लिए पंडाल सज रहे है।
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पश्चिम बंगाल में इस त्योहार की काफी धूम रहती है। इसके अलावा दुनिया भर के बाकि हिस्सों में भी भारतीय समुदाय में इस त्योहार का विशेष महत्व है।
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कलाकारों को मां दुर्गा की मूर्तियां बनाने में कई महीनों का समय लग जाता है। बढ़ती मांग के चलते ये अपना काम काफी पहले से शुरू कर देते हैं।
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मान्यता के हिसाब से, मां दुर्गा की आंखें नवरात्रि के पहले दिन बनाई जाती हैं लेकिन अधिक दबाव और मांग के कारण कलाकार इसे पहले ही तैयार कर देते है।
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कोलकाता के बीचोबीच कुमारतुली में दुर्गा की प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं। उन पर रंगरोगन किया जा रहा है और उन्हें खूबसूरत साड़ियां पहनाई जा रही हैं।
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यहां हर साल लगभग 5,000 दुर्गा प्रतिमाएं बनती हैं और मूर्तिकारों, उनके सहायकों, साज-सज्जा करने वालों और सेल्फी स्टिक लेकर घूमते पर्यटकों के चहल-पहल वाली इस बस्ती के काम में न तो मूसलाधार बारिश आड़े आती है और न ही धर्म।
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हर कोई मूर्तियां देखने आता है। वे प्रशंसा करते हैं, तस्वीरें लेते हैं और चले जाते हैं। लेकिन बात केवल मूर्ति की बात नहीं है। देवी की मूर्ति को टुकड़ों-टुकड़ों में बनाया जाता है। मुस्लिम कारीगार आमतौर पर उनके कपड़े और विग तैयार करते हैं।
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एक कलाकार का कहना है, 'आप गाय पर राजनीति कर सकते हैं और इसे धर्म से जोड़ सकते हैं, लेकिन हमारे लिए यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। यहां कोई भी इस (हिंदू-मुस्लिम मुद्दों) पर बात नहीं करता।'