500 और 1000 के पुराने नोटों पर लगी थी पाबंदी
8 नवंबर 2016 को जब पूरी दुनिया की नजरें इस बार पर जमी हुई थी कि अमेरिका का नया राष्ट्रपति कौन होगा उसी दिन देश में मोदी सरकार के एक फैसले ने आम लोगों के जीवन में उथल-पुथल मचा दी। वो फैसला था 500 और 1000 रु के पुराने नोटों को चलन से बाहर करना यानि की नोटबंदी।
बैंकों के बाहर लग गई थी लोगों की भीड़
सरकार के इस फैसले के बाद अगले ही दिन से बैंकों के बाहर पुराने नोटों को बदलने के लिए लोगों की ऐसी भीड़ जुटने लगी जिसको संभालना पुलिस प्रशासन के लिए भी चुनौती बन गई थी।
बैंकों के बाहर थी लंबी लाइन
दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों से लेकर सुदूर गांवों तक में लोग अपना काम धंधा और नौकरी छोड़कर पुराने नोटों को बदलने के लिए बैकों, डाकघरों के आगे खड़े हो गए। हालात ऐसे हो गए थे कि लोग खाना पीना लेकर बैंक और एटीएम की लाइन में लगने लगे और उनका नंबर 48-48 घंटे बाद आता था।
कई लोगों की हुई थी मौत
बैंकों में नए नोट खत्म हो जाने की वजह से कई जगह हिंसा की भी खबरें आई थी। हालात इतने बदत्तर हो गए थे कि नए नोट के लिए लाइन में खड़े कई लोगों की मौत तक हो गई थी।
एटीम के बाहर ही लोगों ने डाल दिया था डेरा
नोटबंदी की वजह से देश के लगभग दो लाख एटीएम ने काम करना बंद कर दिया था क्योंकि नए नोटों की साइज पुराने के मुकाबले अलग था। इन एटीएम के बाहर लोगों की भारी भीड़ जुटती थी। कही एटीएम से अगर पैसे निकलते भी थे महज कुछ लोगों को ही मिल पाते थे जिसके बाद लोगों का संयम जवाब देने लगता था।
नोटबंदी ने तोड़ी थी कई शादियां
नोटबंदी की वजह से कई शादियां या तो टूट गई या फिर धूमधाम से नहीं पा पाई या रद्द कर दी गई। इसको लेकर उस वक्त सरकार की आलोचना भी खूब हुई थी।