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बिहार संपर्क क्रांति।
दुनिया भर में मशहूर मिथिला पेंटिंग अपने सुनहरे सफर पर निकल पड़ी है। मनमोहक मिथिला पेंटिंग से सजी बिहार संपर्क क्रांति ट्रेन दरभंगा से दिल्ली के लिए रवाना हो गई है। बिहार की संस्कृति को समेटे ये ट्रेन पहली बार गुरुवार यानी आज दिल्ली पहुंचेगी। ट्रेन के कुछ डब्बों पर मिथिला की कलाकृतियां बनाई गई हैं।
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मधुबनी रेलवे स्टेशन
इसके साथ ही बिहार के मधुबनी रेलवे स्टेशन को मिथिला पेंटिंग से सजाया गया है। 7005 वर्ग फीट में बनी मधुबनी पेंटिंग ने मधुबनी रेलवे स्टेशन को एक अलग पहचान दी है। मधुबनी के 182 कलाकारों ने इसे बनाया है।
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ट्रेन आज पहुंचेगी दिल्ली
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि यह एक प्रयोग के रूप में शुरू किया है इसके परिणाम अच्छे आने पर आने वाले दिनों में और भी ट्रेनों की बोगियों पर मिथिला पेंटिंग की जायेगी। आज पहली बार मिथिला पेंटिंग से सजी ट्रेन के पहली बार पटरी पर आने से मिथिला पेंटिंग करने वाली महिला कलाकार भी काफी उत्साहित नज़र आई।
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सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत को दर्शाती बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया कि मिथिला की सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत को दर्शाती बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस आज से अपने नये लुक में चलेगी, ट्रेन की बोगियों पर बनाई मिथिला पेंटिंग्स से इस कला को प्रचार तथा विस्तार मिलेगा, तथा देश की प्राचीन विरासत को एक बार फिर से पहचान मिलेगी।
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मधुबनी चित्रकला मिथिलांचल क्षेत्र की प्रमुख चित्रकला है
मधुबनी चित्रकला मिथिलांचल क्षेत्र जैसे बिहार के दरभंगा, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। यह मिथिला पेंटिंग के नाम से भी जानी जाती है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर से होते हुए यह ट्रेन पर उतर आई है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है। वर्तमान में मिथिला पेंटिंग के कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुबनी व मिथिला पेंटिंग को सम्मान दिलाया है।
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प्रकृति से काफी करीब होती है मिथिला पेंटिंग
इस चित्रकला में खासतौर पर कुल देवता का चित्रण होता है। हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीर, प्राकृतिक नजारे जैसे- सूर्य व चंद्रमा, धार्मिक पेड़-पौधे जैसे- तुलसी और विवाह के दृश्य होते हैं। मधुबनी पेंटिंग दो तरह की होतीं हैं- भित्ति चित्र और अरिपन या अल्पना।