राम मंदिर
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए भव्य राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन माह में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के लिए अयोध्या में ही दूसरी जगह मस्जिद निर्माण के लिए जमीन देने का आदेश दिया है.
राम मंदिर डिजाइन (सांकेतिक चित्र)
वहीं बताया जा रहा है कि राममंदिर निर्माण के लिए 1990 में स्थापित की गई कार्यशाला में पत्थरों को तराशने का कार्य पूरा हो गया है. विहिप (VHP) का दावा है कि मंदिर का लगभग आधे से ज्यादा काम पूरा हो चुका है. बाकी निर्णय आने के बाद पूरा कर लिया जाएगा.
राम मंदिर डिजाइन (सांकेतिक चित्र)
वर्तमान में रामघाट स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला में प्रथम तल की पत्थर तराशी का काम लगभग पूरा हो गया है. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर 268 फुट लंबा और 140 फुट चौड़ा तथा 128 फुट ऊंचा होगा. मंदिर की प्रथम पीठिका पर 10 फुट चौड़ा परिक्रमा का स्थान बनाया जाएगा.
राम मंदिर डिजाइन (सांकेतिक चित्र)
उन्होंने बताया कि मंदिर दो मंजिल का बनाया जाएगा, और दूसरे मंजिल पर राम दरबार और उसके ऊपर शिखर होगा. राम मंदिर के हर तल पर 106 खंभे और हर एक खंभे में 16 मूर्तियां होंगी.
राम मंदिर डिजाइन (सांकेतिक चित्र)
वीएचपी के मुताबिक, 'अग्रभाग, सिंह द्वार, नृत्यमंडप, रंगमंडप और गर्भगृह के रूप में मंदिर के मुख्यतया पांच प्रखंड होंगे. पूरा मंदिर बनने में 1 लाख 75 हजार घनफुट पत्थर लगना है. इसमें से 1 लाख घनफुट से ज्यादा पत्थर तराशे जा चुके हैं.'
राम मंदिर (सांकेतिक चित्र)
उन्होंने बताया, 'पूरे मंदिर में 1 लाख 75 हजार घन फुट पत्थर लगना है, जिसमें से 1 लाख घन फुट से अधिक पत्थर को गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कारीगरों द्वारा तराशा जा चुका है. मंदिर का भूतल सहित करीब 65 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है.
राम मंदिर
वीएचपी प्रवक्ता ने बताया, 'राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से खूबसूरत गुलाबी पत्थरों को मंगाया गया है. पत्थरों को काटने के लिए मशीनें लगाई गई हैं. इसे तराशने में करीब 100 करीगर लगे हुए हैं. जो निरंतर काट कर इसकी नक्काशी बना रहे हैं. इसके चलते अब तक राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल के मुताबिक प्रथम तल का कार्य पूरा कर लिया गया है. इसके लिए करीब एक लाख घनफुट पत्थरों की तराशी हो चुकी है. अभी नींव खोदी जाएगी. जन्मभूमि के पीछे खाईं है, जिसे पूरा करने में समय लगेगा.