मुंबई हमला
मुंबई हमले को आज नौ साल पूरे हो गए हैं, लेकिन आज भी वह घाव जस के तस हैं। हमले में 166 लोगों की जान चली गई थी, जिसमें कई विदेशी नागरिक भी थे। इस हमले को लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद ने अंजाम दिया था, जिसे पाकिस्तान का संरक्षण प्राप्त है। देश की अार्थिक राजधानी को आतंकियों ने 72 घंटों तक बंधक बनाये रखा। जमात-उद-दावा संगठन का संचालन करने वाले हाफिज सईद को मुंबई हमले के बाद हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में एक अदालत ने 2009 में उसे रिहा कर दिया। इसके बाद भारत के दबाव बनाने पर सईद को बीते 30 जनवरी से नजरबंद रखा गया था, जिसे पाकिस्तान ने हाल ही में रिहा कर दिया है।
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लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया
लश्कर-ए-तैयबा के 10 फिदायीन आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। आधुनिक हथियारों से लैस इन आतंकी एक बोट से मुंबई की समुद्री सीमा में दाखिल हुए। मुंबई पहुंचने के बाद उन्होंने इस बोट को आग के हवाले कर दिया।
पहला निशाना छत्रपति शिवाजी टर्मिनल को बनाया
26 नवंबर की रात को आतंकियों ने अपना सबसे पहला निशाना छत्रपति शिवाजी टर्मिनल को बनाया। मुंबई के भीड़-भाड़ वाली जगह पर आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दीं।
आतंकी कसाब
शिवाजी टर्मिनल पर आतंकियों ने सबसे ज्यादा निर्दोष लोगों को मारा। एक मात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी कसाब ने इसी स्टेशन पर कई यात्रियों को मौत की नींद सुला दिया।
हमले में शहीद होने वाले वीर सपूत
आतंकियों के इस हमले को नाकाम करने की कोशिश में मुंबई पुलिस, महाराष्ट्र एटीएस और एनएसजी के कुल 11 वीर शहीद हो गए। हमले में महाराष्ट्र के एटीएस चीफ हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे, एसीपी सदानंद दाते, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एसआई विजय सालस्कर, एनएसजी के कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और कसाब को पकड़ने वाले एएसआई तुकाराम ओंबले शहीद हो गए।
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