वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे
इस समय पूरी दुनिया में लगभग 40 करोड़ लोग वायरल हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं। लिवर की यह बीमारी एचआईवी, मलेरिया और टीबी से भी ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है। हर साल हेपेटाइटिस से 10.4 लाख लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। लेकिन सावधानी बरत कर हेपेटाइटिस को रोका जा सकता है।
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भारत में वायरल हेपेटाइटिस बी एक गंभीर समस्या है। लगभग 40 करोड़ लोग दुनिया भर में हेपेटाइटिस बी और सी से संक्रमित हैं।
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हेपेटाइटिस बी एचसीवी की तुलना में 10 गुना और एचआईवी से 50-100 गुना ज्यादा संक्रामक है। एचबीवी ड्रिप में सात दिनों तक जीवित रह सकता है और संक्रमण पैदा करने में सक्षम रहता है।
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हेपेटाइटिस-सी का संक्रमण फैल कर दिल के लिए भी समस्या पैदा कर सकता है। अध्ययन इस बात के मजबूत प्रमाण देते हैं कि हेपेटाइटिस-सी से दिल की प्रणाली को नुकसान पहुंच सकता है।
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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि लंबे समय से हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित लोगों की रक्त धमनियों में चर्बी और कैल्शियम जम सकता है। इसे 'एथ्रोसिलेसोरिसस' कहा जाता है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक की शुरुआत है।
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हेपेटाइटिस-सी रक्त के जरिए फैलने वाले वारयस से होने वाला संक्रमण है, जिसकी गंभीरता कई सप्ताह से लेकर जीवनभर तक रह सकती है। असुरक्षित सूई, मेडिकल उपकरणों के उचित स्टेरलाइजेशन न होने और बिना जांच के रक्त या रक्त तत्व चढ़ाने से हेपेटाइटिस सी हो सकता है।
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हेपेटाइटिस-सी के वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। शराब से परहेज करें, क्योंकि इसके कारण वायरस तीव्र हो जाता है।
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हेपेटाइटिस-सी के वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए 'एंटीवायरल कॉम्बीनेशन थैरेपी' से लगभग 50 फीसदी लोग वायरस पर जीत हासिल कर लेते हैं।एंटीऑक्सीडेंट्स के साथ सेल्स को सेहतमंद रखें।