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मैसूर दशहरा 2017: परंपरागत अंदाज में महोत्सव शुरु, देखें तस्वीरों में

Dussehra or Dasara (as it is known in Mysore) is one of the most auspicious occasions in India. The grand festivities begin 10-days earlier with Navratri during which people fast and seek blessings from Goddess Durga. Dussehra 2017 falls on 30th September 2017. It is also on this day that Lord Ram defeated Ravana, and killed him to rescue his wife Sita. In most parts of North India, huge idols of Ravana are made and set to fire on the Dussehra day, signifying the victory of good over evil.

News Nation Bureau | Updated : 26 September 2017, 09:11:22 AM
मैसूर का दशहरा

मैसूर का दशहरा

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कर्नाटक के मैसूर का दशहरा सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी मशहूर है. मैसूर में दशहरा मनाने की परंपरा 600 साल से भी पुरानी है। इस मौके पर कर्नाटक सरकार ने 44 केबिन वाली लक्जरी ट्रेन का आयोजन करने जा रही है।
मैसूर का दशहरा

मैसूर का दशहरा

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कर्नाटक सरकार ने इस विशेष अवसर पर आने वाले पर्यटकों के लिए दो ट्रिप का आयोजन किया है। पहले टूर के लिए 23 से 25 सितंबर के बीच यात्रा होगी, जबकि दूसरा टूर 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक होगा। इसके लिए पर्यटकों को दक्षिण भारत घूमने का भी मौका मिलेगा। इस टूर के लिए 30 हजार रुपये प्रति व्यक्ति का किराया निर्धारित किया गया है।
मैसूर का दशहरा

मैसूर का दशहरा

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मैसूर का दशहरा सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। मैसूर में 600 सालों से अधिक पुरानी परंपरा वाला यह पर्व ऐतिहासिक दृष्टि से तो महत्त्वपूर्ण है ही, साथ ही यह कला, संस्कृति और आनंद का भी अद्भुत सामंजस्य है।
मैसूर का दशहरा

मैसूर का दशहरा

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पारंपरिक उत्साह एवं धूमधाम के साथ दस दिनों तक मनाया जाने वाला मैसूर का 'दशहरा उत्सव' देवी दुर्गा (चामुंडेश्वरी) द्वारा महिषासुर के वध का प्रतीक है। अर्थात यह बुराई पर अच्छाई, तमोगुण पर सत्गुण, दुराचार पर सदाचार या दुष्कर्मों पर सत्कर्मों की जीत का पर्व है।
'पुरगेरे' (मैसूर का प्राचीन नाम)

'पुरगेरे' (मैसूर का प्राचीन नाम)

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कई मध्यकालीन पर्यटकों तथा लेखकों ने अपने यात्रा वृत्तान्तों में विजयनगर की राजधानी 'हम्पी' में भी दशहरा मनाए जाने का उल्लेख किया है। इनमें डोमिंगोज पेज, फर्नाओ नूनिज और रॉबर्ट सीवेल जैसे पर्यटक भी शामिल हैं। इन लेखकों ने हम्पी में मनाए जाने वाले दशहरा उत्सव के विस्तृत वर्णन किये है। विजयनगर शासकों की यही परंपरा वर्ष 1399 में मैसूर पहुँची, जब गुजरात के द्वारका से 'पुरगेरे' (मैसूर का प्राचीन नाम) पहुँचे दो भाइयों यदुराय और कृष्णराय ने वाडेयार राजघराने की नींव डाली। यदुराय इस राजघराने के पहले शासक बने।
जम्बू सवारी

जम्बू सवारी

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विजयादशमी के पर्व पर मैसूर का राज दरबार आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है। भव्य जुलूस निकाला जाता है। दसवें और आखिरी दिन मनाए जाने वाले उत्सव को जम्बू सवारी के नाम से जाना जाता है। इस दिन सारी निगाहें 'बलराम' नामक हाथी के सुनहरे हौदे पर टिकी होती हैं। इस हाथी के साथ ग्यारह अन्य गजराज भी रहते हैं, जिनकी विशेष साज-सज्जा की जाती है। इस उत्सव को अम्बराज भी कहा जाता है। इस मौके पर भव्य जुलूस निकाला जाता है, जिसमें बलराम के सुनहरी हौदे पर सवार हो चामुंडेश्वरी देवी मैसूर नगर भ्रमण के लिए निकलती हैं। वर्ष भर में यह एक ही मौका होता है, जब देवी की प्रतिमा यूँ नगर भ्रमण के लिए निकलती है।