फसल के निशान
यह गर्मियों की फसल के निशान है और कई उत्सवों के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार की तैयारी 10 दिन पूर्व शुरू हो जाती है। इस त्योहार के पहले आठ दिन फूलों की सजावट का कार्यक्रम चलता है। 9वें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है। दूसरे दिन शाम में मूर्ति विसर्जित किया जाता है।
ओणम
ओणम को फसलों का त्योहार कहा जाता है। इस साल 4 सितंबर को इस त्योहार को मनाने के लिए केरल पूरी तरह से तैयार है। दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने में मनाया जाता है। मलयाली हिंदुओं का यह नया साल होता है।
पोक्कलम (फूलों की रंगोली)
ओणम के मौके पर भी महिलाएं पारंपरिक सफेद और सुनहरे रंग की साड़ी पहनती हैं और फूल की पंखुड़ियों से खूबसूरत पोक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाती हैं।
राजा महाबली का स्वागत
राजा महाबली के स्वागत के लिए घर के दरवाजों पर पोक्कलम बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ओणम की शुरूआत राज्य के राजा महाबली के स्वर्ण काल के दौरान हुई थी।
पोकल्लम
पोकल्लम के जरिए सामाजिक संदेश देने की भी कोशिश की जाती है। इस रंगोली को बनाने के लिए ज्यादातर मुक्कती, कक्का पोवु, मुक्कती, अरिपू, थुम्बा, थेचीपोओवु, हनुमान कीरेडोम और चेथी फूलों का प्रयोग किया जाता है।
'थुम्बा पू'
यह माना जाता है कि 'थुम्बा पू' भगवान शिव का पसंदीदा फूल है और राजा महाबली भगवान शिव का एक बड़ा भक्त था।
फूलों की सजावट का कार्यक्रम
इस त्योहार की तैयारी 10 दिन पूर्व शुरू हो जाती है। इस त्योहार के पहले आठ दिन फूलों की सजावट का कार्यक्रम चलता है। 9वें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा की जाती है। दूसरे दिन शाम में मूर्ति विसर्जित किया जाता है।