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दशहरा स्पेशल: राम-हनुमान का मिलना और हनुमान का लंका जाना, देखिये किष्किंधाकाण्ड

Rama and Lakshman continued their search for Sita. Along the way, they found Rishyamook mountain where Sugriva lived with his minister Jambavan and associate Hanuman. Sugriv saw Rama and Laksman at the foothills.

News Nation Bureau | Updated : 25 September 2017, 07:43:51 AM
किष्किंधाकाण्ड

किष्किंधाकाण्ड

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‘रामायण’ के चौथे भाग को किष्किंधाकाण्ड के नाम से जाना जाता है। इस भाग में राम-हनुमान मिलन, वानर राज सुग्रीव से मित्रता, सीता को खोजने के लिए सुग्रीव की प्रतिज्ञा, बाली व सुग्रीव का युद्ध, बाली-वध, अंगद का युवराज पद, ऋतुओं का वर्णन, वानर सेना का संगठन का विस्तार पूर्वक वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त हनुमान का लंका जाना, जाम्बवंत की हनुमान को प्रेरणा आदि का व्याख्या की गई है।
किष्किंधाकाण्ड

किष्किंधाकाण्ड

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रावण सीता का हरण कर अपने साथ ले जा रहा था। देवी सीता ने एक तरकीब निकाली और राम को संकेत देने हेतु अपने आभूषण रास्ते में गिराती गईं।देवी सीता द्वारा फेंके गए आभूषण वानर राजा सुग्रीव को मिले। सुग्रीव ने वह आभूषण संभाल कर अपने पास रख लिए।
किष्किंधाकाण्ड

किष्किंधाकाण्ड

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देवी सीता द्वारा फेंके गए आभूषण वानर राजा सुग्रीव को भी मिले। सुग्रीव ने वह आभूषण संभाल कर अपने पास रख लिए। राम और लक्ष्मण जी देवी सीता को ढूंढते हुए मलय पर्वत पर पहुंचे। मलय पर्वत पर वानर राजा सुग्रीव अपने भाई बालि के डर से अपने मंत्रियों तथा शुभचिंतकों के साथ विराजमान थे। सुग्रीव ने वह आभूषण उन्हें सौंप दिए।
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सुग्रीव ने बाली के अत्याचारों के बारे में राम को बताया। जिसके बाद राम ने बाली का वध कर सुग्रीव को बाली के आतंक से मुक्त किया। तत्पश्चात सुग्रीव वानरराजा बने। राम के साथ वानरो की सेना मां सीता की खोज में निकली पर वानरों के लिए विशाल समुद्र लांघना कठिन था। तब जामवंत तथा वानरों ने हनुमानजी को उनकी शक्ति का स्मरण करवाया।
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सीता की खोज में समुद्र पार करने के समय सुरसा ने राक्षसी का रूप धारण कर हनुमान का रास्ता रोका तब हनुमान ने अपना शरीर का आकार बड़ा कर लिया और फिर अचानक ही अपना शरीर बहुत छोटा कर सुरसा के मुंह में प्रवेश करके तुरंत ही बाहर निकल आये। सुरसा ने प्रसन्न होकर हनुमान को आशीर्वाद दिया तथा उनकी सफलता की कामना की।