कबीर दास के दोहे
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय
कबीर दास के दोहे
उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकासतिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास
कबीर दास के दोहे
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूरपंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर
कबीर दास के दोहे
साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय
कबीर दास के दोहे
गुरु गोविंद दोऊं खड़े, काके लागूं पांय बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताय