सपना
मनोविज्ञान के अनुसार , सपनों का संबंध इंसान के याद्दाश्त मजूबत करने, भावनाओं को कंट्रोल करने और समस्याओं को बेहतर तरीके से हल करने से जुड़ा है. इंसान को रात में सोने के दौरान 4-5 सपने आते हैं, लेकिन सुबह जगने के बाद ज्यादातर सपनों को हम भूल जाते हैं.
सपना
जिस समय हम सपने देखते हैं वह समय हमारी स्मृति में अलग-अलग नामों से संग्रहीत होता है जो बहुत कम समय के लिए रहता है. इसे अल्पकालिक स्मृति भी कहा जाता है.
सपना
याददाश्त कमजोर होने के कारण हम सुबह उठने के बाद सपने की जानकारी भूल जाते हैं. मनोविज्ञान मानता है कि याद्दाश्त नई जानकारी के लिए शॉट टर्म चीजों को खाली करते रहता है.
सपना
रात को सोते समय दिमाग सबसे ज्यादा सक्रिय हो जाता है जब हम सपने देखते हैं. लेकिन सुबह उठने के बाद हमारा ध्यान तुरंत दूसरी चीजों पर चला जाता है. जैसे ही सुबह जगने के बाद हमारा ध्यान दूसरी चीजों में जाता है, शॉट टर्म के लिए याद्दाश्त में स्टोर हुई जानकारी खाली होने लगती है। इसलिए सुबह जगने के बाद हम ज्यादातर सपने भूल जाते हैं.
सपना
सुबह उठते ही हमारा ध्यान कहीं और चला जाता है, स्मृति में संग्रहीत जानकारी के लिए शॉट स्टार खाली होने लगता है. इसीलिए सुबह उठने के बाद हम ज्यादातर सपने देखना भूल जाते हैं.