महिलाओं की अच्छी हेल्थ के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है. विटामिन डी की कमी से महिलाओं में कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
प्रेगनेंसी से लेकर बढ़ती उम्र में महिलाओं के शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है. ऐसे में आपको हेल्दी रहने के लिए सनशाइन विटामिन यानि विटामिन डी जरूर लेना चाहिए.
आप नेचुरल सोर्स जैसे धूप में बैठकर या टहलकर विटामिन डी ले सकते हैं. सुबह की धूप से शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है. अगर आप धूप में नहीं बैठ सकते तो विटामिन डी से भरपूर फूड्स को अपनी डाइट का हिस्सा बनाकर भी विटामिन डी ले सकते हैं.
विटामिन डी आपकी हड्डियों और इम्युनिटी के लिए बहुत जरूरी है. इन सब के अलावा, विटामिन डी से महिलाओं को और भी कई जबरदस्त फायदे मिलते हैं. आज हम आपको विटामिन डी और महिलाओं के बीच का कनेक्शन बताते हुए उसके बारे में डिटेलिंग से बात करेंगे.
विटामिन डी की कमी के लक्षण
- बार-बार बीमार पड़ना या इन्फेक्शन होना - थकान रहना- हड्डियों और पीठ में दर्द- डिप्रेशन - घाव भरने में परेशानी- बाल झड़ना- मसल्स में दर्द
विटामिन डी के बेनेफिट्स
हड्डियों को मजबूत बनाए हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए विटामिन डी बेहद जरूरी है, क्योंकि इसका कैल्शियम और फास्फोरस के लेवल पर इफ़ेक्ट पड़ता है. आंतों (intestines) और हड्डियों में कैल्शियम को stimulate और अब्सोर्ब करने में विटामिन डी एक इम्पोर्टेन्ट रोल प्ले करता है. महिलाओं में इस विटामिन की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) और फ्रैक्चर हो सकता है. इसके साथ ही, इसकी कमी से महिलाएं कई बार आर्थराइटिस जैसी बीमारियों का शिकार हो जाती हैं. इसके अलावा कई बार ये ऑस्टियोमलेशिया (osteomalacia) या हड्डियों के नरम होने का भी कारण बनता है. ऑस्टियोमलेशिया होने पर हड्डियों की डेंसिटी कम होती है और मसल्स को कमजोर बनाती है. इसलिए हड्डियों को हेल्दी बनाए रखने के लिए विटामिन डी कंज्यूम करना लेडीज के लिए जरूरी है.
मसल्स की कमजोरी दूर करे
विटामिन डी मांसपेशियों की कमजोरी को कम करने में मदद करता है. विटामिन डी की कमी के लक्षणों में मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द और थकान महसूस होती है. साथ ही, जिन लोगों में विटामिन डी का लेवल कम होता है उन्हें अक्सर जोड़ों का दर्द होता है. ये मांसपेशियों में अकड़न का कारण भी बनता है. कई बार ये प्लांटर फेसलेटिस के दर्द का भी कारण बनता है. इसके अलावा जिन महिलाओं में विटामिन डी की कमी होती है उनमें गिरने और फ्रैक्चर होने के बाद घाव जल्दी ठीक नहीं हो पाता है. ऐसे में चोट से बचने, हड्डियों के चटकने और घावों को ठीक करने के लिए विटामिन डी बेहद जरूरी है.
प्रेगनेंसी में फायदेमंद
प्रेग्नेंसी में विटामिन डी कंज्यूम करने से न सिर्फ गर्भवती मां को फायदा मिलता है बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी ये बेहद फायदेमंद होता है. दरअसल, विटामिन डी कैल्शियम और फॉस्फेट की सही क्वांटिटी को अब्सोर्ब करने में मदद करता है. यह प्रेगनेंसी में स्पेशियली इम्पोर्टेन्ट है क्योंकि यह आपके बच्चे की हड्डियों, दांतों, गुर्दे (kidney), हार्ट और नर्वस सिस्टम को डेवेलप करने में मदद करता है. सभी महिलाओं को अपने बच्चों को दूध पिलाते वक्त रोजाना 10 माइक्रोग्राम विटामिन डी की खुराक लेनी चाहिए ताकि बच्चे को विटामिन डी मिल सके. पर एक दिन में 100 माइक्रोग्राम से ज्यादा विटामिन डी न लें क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है.
हार्मोनल हेल्थ को बैलेंस रखे
विटामिन डी की कमी से एस्ट्रोजन का लेवल कम हो सकता है, जिससे डिप्रेशन, हॉट फ्लैशेज और मूड स्विंग्स आदि होता हैं. दरअसल, विटामिन डी असल में एक हार्मोन है जो आपके अन्य हार्मोन के साथ कम्यूनिकेट करता है, जिससे यह हार्मोन बैलेंस में मदद करने के लिए विशेष रूप से काम करता है. इसलिए, आपको हार्मोनल उतार-चढ़ाव (hormonal fluctuations) को कम करने और रोकने के लिए सफिशियेंट विटामिन डी 2 और डी 3 का सेवन करें.
विटामिन डी से भरपूर फूड्स
-मछली जैसे टूना, मैकेरल और सैल्मन-संतरा और संतरे का जूस-सोया दूध- पनीर-अंडे-मशरूम -गाय का दूध-कुछ प्रकार के दही-टोफू