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सांसद रेखा (फाइल फोटो)
बॉलीवुड की सबसे चर्चित, विवादास्पद और बिंदास अभिनेत्रियों में से एक रेखा का आज जन्मदिन है। दक्षिण भारत से आने वाली रेखा ने अपने करियर में कई ऐसी बेहतरीन फिल्मों में काम किया जिसने उन्हें एक पंक्ति में ला खड़ा किया। आईए, जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें...
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दक्षिण भारत से आई थीं रेखा
रेखा का असली नाम रेखा गणेशन था। उनके पिता जेमीनी गणेशन एक तमिल एक्टर थी और मां पुष्पावली तेलुगू फिल्में में काम करती थीं। दोनों की कभी शादी नहीं हुई। जेमिनी ने भी रेखा को बेटी नहीं माना। आखिरकार तंगी और पारिवारिक हालात रेखा को फिल्मों मे खींच लाए।
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रेखा (फोटो-वीडियो ग्रैब)
रेखा शुरू से हंसमुख और चंचल स्वभाव की थी। 13 साल की उम्र में रेखा को स्कूल छोड़कर फिल्मों में आना पड़ा। उन्होंने शुरुआत बतौर चाइल्ड एक्टर की थी और वे तेलुगु फिल्म ‘रंगुला रत्नम (1966)’ में नजर आई थीं।
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रेखा का शुरुआती सफर
ऐसे मिली पहली हिंदी फिल्म: यासेर उस्मान की किताब रेखा- द अनटोल्ड स्टोरी के अनुसार तब एक प्रोड्यूसर कुलजित पाल अपनी नई फिल्म के लिए हिरोइन तलाश रहे थे। एक फिल्म के सेट पर उनकी नजर एक लड़की पर पड़ी, जिसकी प्लेट खाने से भरी हुई है। रेखा खाने में इतनी व्यस्त थी कि उनका ध्यान किसी और चीज पर था ही नहीं। कुलजित को रेखा तो पसंद आईं लेकिन जब उन्हें मालूम हुआ कि रेखा को हिंदी नहीं आती, तो वह सोच में पड़ गए। बाद में उन्हें बताया गया कि रेखा की याद्याश्त बहुत तेज है और वह आराम से काम कर सकती हैं।
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रेखा (फोटो- वीडियो ग्रैब)
रेखा को एक तरह से पहली फिल्म के दौरान यौन शोषण का शिकार होना पड़ा। तब वह 14 साल की थीं। दरअसल, फिल्म के निर्देशक ने पांच मिनट लंबा चुंबन दृश्य फिल्माया। विवाद इस बात पर हुआ कि उन्होंने रेखा को इस बारे में पहले से बताया ही नहीं था। विश्वजीत इस फिल्म में रेखा के सामने थे। निर्देशत के एक्शन बोलते ही वे रेखा को किस करने लगे और यह पांच मिनट तक चलता रहा। हालांकि, कुलजीत पाल का कहना था कि रेखा को बताया गया था। ये फिल्म 10 साल बाद 1979 में रिलीज हुई, 'दो शिकारी' के नाम से।
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रेखा (फोटो- वीडियो ग्रैब)
रेखा की पहली हिट फिल्म सावन-भादो: यह फिल्म 1970 में आई और फिर रेखा की गिनती बड़े स्टार्स में होने लगी। एक समय ऐसा आया जब उनके खाते में एक साथ करीब 25 फिल्में थी।
रेखा और विनोद मेहरा
विनोद मेहरा से मुलाकात: सफलता के इसी दौर में रेखा की मुलाकात विनोद मेहरा से हुई। दोनों ने शादी का फैसला किया। हालांकि, मेहरा की मां कमला मेहरा ने रेखा को स्वीकार नहीं किया। माना जाता है कि इसका एक कारण रेखा की पिछली जिंदगी और उनका बिंदास अंदाज था। मां के कारण विनोद मेहरा के हाथ बंधे हुए थे। धीरे-धीरे ऐसे ही चलता रहा और दोनों के बीच रिश्ता खत्म हो गया।
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रेखा और अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन से मिलकर बदल गईं रेखा: कहते हैं कि रेखा के स्वभाव में बड़ा बदलाव उनकी अमिताभ बच्चन से मुलाकात के बाद हुई। बिंदास हड़कतों, बात बात पर हंस देने, उन्मुक्त व्यवहार की जगह वह पहले से ज्यादा गंभीर नजर आने लगीं। इसके बाद से रेखा के अभिनय का एक अलग ही रेंज देखने को मिला। उन्होंने उमराव जान, घर, खूबसूरत, इजाजत जैसी कई बेहतरीन फिल्में की।
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सिलसाल का एक दृश्य
सिलसिला की कहानी: यश चोपड़ा ने इस फिल्म के लिए परवीन बॉबी और स्मिता पाटिल को साइन कर लिया था लेकिन वह स्टारकास्ट से संतुष्ट नहीं थे। बाद में उन्होंने अमिताभ बच्चन से बात की। यश की बात सुनते ही अमिताभ चुप हो गए। बाद में जया बच्चन को कहानी सुनाई गई लेकिन शुरुआत में उन्होंने मना कर दिया। हालांकि, कहते हैं कि जया फिल्म का क्लाइमेक्स सुन कर खुश हुईं और फिल्म के लिए तैयार हो गईं। रेखा ने आसानी से फिल्म को लेकर अपनी रजामंदी दे दी।
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उमराव जान में रेखा
रेखा ने उमराव जान फिल्म के लिए सबसे ज्यादा नाम कमाया। उन्हें इसके लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। फिल्म के निर्देशक मुजफ्फर अली के मुताबाकि शुरुआत में स्मिता पाटिल और दूसरे नामों पर विचार कर रहे थे। उसी दौरान रेखा की एक तस्वीर उन्होंने देखी जिसमें उदासी थी। मुजफ्फर की नजर आंखों पर पड़ी। मुजफ्फर कहते हैं- 'उन आंखों में ऐसा जज्बा नजर आया जो हार नहीं मानता। मेरी उमराव जान की भी यही स्टोरी थी। बस मैंने रेखा को साइन करने का फैसला कर लिया।'
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रेखा (फाइल फोटो)
1990 में दिल्ली के उद्योगपति मुकेश अग्रवाल से हुई। अचानक दोनों की शादी हुई। ये शादी छह महीने में टूट गई। बाद में मुकेश ने आत्महत्या कर ली। रेखा हालांकि अब भी कई मौको पर सिंदूर लगाए नजर आती हैं और इसकी चर्चा हमेशा होती रही है कि रेखा सिंदूर क्यों लगाती हैं।