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नवाजुद्दीन सिद्दीकी (फाइल फोटो)
बॉलीवुड में सालों संघर्ष के बाद अपनी अलग पहचान बनाने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने हाल ही में नस्लवाद को लेकर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। मनोरंजन-जगत में उनके साथ हुए भेदभाव के बारे में 17 जुलाई को उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, 'मुझे यह अहसास कराने के लिए धन्यवाद कि मैं काला और बुरा दिखता हूं, इसलिए गोरी और खूबसूरत लड़की के साथ जोड़ी नहीं बन सकती। लेकिन इस तरफ मैंने कभी ध्यान नहीं दिया।' इसके बाद बॉलीवुड के कई दिग्गजों ने नवाजुद्दीन के समर्थन में कहा कि भेदभाव केवल फिल्म उद्योग में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में हैं।
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तापसी पन्नू (फाइल फोटो)
आइफा 2017 में 'वुमन ऑफ द इयर' का अवॉर्ड जीतने वाली तापसी पन्नू ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम रंग के इतने भूखे हैं कि गोरे होने वाली क्रीम बेचते हैं। हमारे वैवाहिक स्तंभों में अभी भी त्वचा के रंग का उल्लेख किया जाता है। इसलिए सिर्फ फिल्म उद्योग को निशाना न बनाएं।
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नंदिता दास (फाइल फोटो)
नंदिता दास ने कहा कि यकीनन इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि नवाजुद्दीन की त्वचा का रंग उनके करियर को प्रभावित किया होगा। हमारे चारों तरफ महिलाओं और पुरुषों की तस्वीरें गोरी त्वचा वाली हैं। चाहे यह फिल्म हो, टेलीविजन हो, पत्रिकाएं, होर्डिंग्स, या विज्ञापन हर जगह गोरे लोग हैं। काली त्वचा वालों को अक्सर यह महसूस कराया जाता है कि वे अपूर्ण हैं और ऐसा बचपन से ही होता है। मैं नवाजुद्दीन के करियर में आई चुनौतियों को समझ सकती हूं। यहां 10 वर्षो के संघर्ष के बाद वह इस पक्षपात से उबर पाए हैं।
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अंशुमन झा (फाइल फोटो)
अंशुमन झा ने कहा कि मुझे अपरंपरागत भूमिकाएं मिलती हैं, लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से नस्लवाद का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन इस उद्योग में आपका लुक मायने रखता है और इसलिए भेदभाव को तो रहना ही है। पश्चिम में काले अमेरिकी अभिनेता जेमी फॉक्स की जोड़ी किसी भी अग्रणी हीरोइन के साथ बन सकती है। जबकि यहां कास्टिंग का मानदंड ही यही होता है कि सामने वाले कलाकार के मुकाबले कोई कलाकार कैसा दिखता है। यहां अभिनय क्षमता को महत्व नहीं दिया जाता है।
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तनिष्ठा चटर्जी (फाइल फोटो)
तनिष्ठा चटर्जी ने भी कहा, मुझे लगता है कि फिल्म उद्योग रंग को लेकर इतना पक्षपाती नहीं है। हां, विज्ञापन उद्योग में रंग-रूप को लेकर पक्षपात जरूर है। हमारा समाज बड़े पैमाने पर इन पूर्वाग्रहों से ग्रस्त है। कलाकारों को इन सामाजिक पूर्वाग्रहों के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है। मैंने गोरा बनाने वाली क्रीम का विज्ञापन कभी नहीं किया। मैंने खुद को पर्दे पर गोरा दिखाने के लिए कभी भी किसी से नहीं कहा।
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पंकज त्रिपाठी (फोटो: ट्विटर)
गैंग्स ऑफ वासेपुर, मसान, अनारकली ऑफ आरा जैसी फिल्मों से बॉलीवुड में अपनी छाप छोड़ने वाले पंकज त्रिपाठी ने कहा कि नस्लवाद भारतीय मानसिकता का हिस्सा है। हम इससे बच नहीं सकते। लेकिन नस्लवाद पर नवाजुद्दीन की टिप्पणी को लेकर आई प्रतिक्रिया से यह साबित होता है कि मानसिकता बदल रही है।