बिना विधायक, सासंद बने ही करीब चार दशकों से महाराष्ट्र की सियासत में दबदबा
महाराष्ट्र की सियासत में बाला साहब ठाकरे परिवार के दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकते हैं कि बिना विधायक, सासंद बने ही करीब चार दशकों से महाराष्ट्र की सियासत को यह परिवार प्रभावित कर रहा है.
ठाकरे परिवार में बगावत के बाद अब दो ध्रुव
ठाकरे परिवार की सियासत हमेशा गैर मराठियों के खिलाफ ही घूमती रही. बाल ठाकरे के निधन के बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे और पोते आदित्य ठाकरे के हाथों शिवसेना की कमान संभाल है. 2002 में राज ठाकरे ने पहली बार खुली बगावत कर दी.2006 में राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नाम से नई पार्टी बनाई.
महाराष्ट्र की सियासत का चाणक्य पवार परिवार
शरद पवार को महाराष्ट्र की सियासत का चाणक्य कहा जाता है. उनकी मां शारदा बाई 1936 में पूना लोकल बोर्ड की सदस्य थीं. शरद पवार 38 की उम्र में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और चार बार सीएम रहे.
पवार परिवारः पोतों में रार, बेटी सुप्रिया और भतीजे अजित के हाथ पार्टी की पतवार
शरद पवार के सबसे बड़े भाई दिनकरराव गोविंदराव पवार ऊर्फ अप्पा साहेब पवार थे. वह पवार परिवार से राजनीति में उतरने वाले पहले सदस्य थे. परिवार से राजनीति में उतरने वाले पहले सदस्य थे. बेटी सुप्रिया सुले पार्टी से सांसद बनती रहीं. परिवार से राजनीति में उतरने वाले पहले सदस्य थे. महाराष्ट्र की राजनीति का वारिस बनने के लिए इन दो पोतों में रोहित पवार और पार्थ पवार में विरासत की जंग छिड़ी है. दादा शरद पवार की सीट गंवाकर पार्थ पवार परिवार से चुनाव हारने वाले पहले सदस्य हैं.
राणे परिवार: बालासाहेब की उंगली पकड़ सीखा राजनीति का ककहरा, अब राह अलग
नारायण राणे ने मध्य मुंबई के चेंबूर इलाके में शिवसेना के शाखा प्रमुख से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की. इससे पहले वो अपराध जगत से जुड़े थे. 1985 में मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का चुनाव जीतकर राणे पार्षद बने. शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने उन्हें कोकण में मालवण विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया और राणे विधायक बने.
नीलेश-नितेश के कंधों पर राणे परिवार की विरासत
2009 में नारायण राणे के बड़े बेटे नीलेश राणे रत्नागिरी सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए. छोटा बेटा नितेश राणे 2014 में कणकवली विधानसभा क्षेत्र से विधायक है.
मराठा जागीरदार देशमुख परिवारः सरपंच से सीएम तक का सफर
विलासराव देशमुख
मराठा जागीरदार घराने से ताल्लुक रखने वाले विलासराव देशमुख ने पुणे में कॉलेज की पढ़ाई की. इंडियन लॉ सोसायटी के लॉ कॉलेज से वकालत करते समय उनकी मुलाक़ात और दोस्ती गोपीनाथ मुंडे से हुई.1974 में सरपंच का चुनाव जीते और राजनीति में उनकी करियर शुरू हुई. बाद में वो महाराष्ट्र के सीएम भी बने.
रितेश बॉलीबुड तो अमित और धीरज पर सियासत की विरासत बचाने की जिम्मेदारी
विलासराव देशमुख के तीन बेटे हैं अमित, रितेश और धीरज . अमित और धीरज राजनीति में है तो रितेश ने बॉलीवुड में नाम कमाया है.