81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा एक बार फिर से त्रिशंकु होने के आसार हैं. ऐसी स्थिति में झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल मरांडी और आजसू के सुदेश महतो अगली सरकार में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं. अभी तक आए एक्जिट पोल के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी राज्य में बहुमत से दूर है. जबकि झामुमो, राजद और कांग्रेस गठबंधन मजबूत नजर आ रहा है. माना जा रहा है कि आदिवासी चेहरे का न होना भारतीय जनता पार्टी को महंगा पड़ा है. राज्य के आदिवासी इलाकों में जिस तरह से मतदान हुआ है, इससे यह देखा जा सकता है. हम यहां आपको उन 5 सीटों वीआईपी सीटों के बारे में बता रहे हैं, जहां बड़े दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला है.
इस चुनाव में सबसे 'हॉट सीट' जमशेदपुर (पूर्वी) विधानसभा क्षेत्र बनी है, जिसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है. यहां से मुख्यमंत्री रघुबर दास चुनाव मैदान में हैं. वैसे दास की पहचान झारखंड में 5 साल तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की है. इस बार के चुनाव में उनके सामने उनके ही मंत्रिमंडल में रहे सरयू राय बतौर निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. इनके अलावा कांग्रेस से गौरव वल्लभ ने भी यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया हैं. इस सीट पर दूसरे चरण में 56.30 फीसदी मतदान हुआ था.
झारखंड चुनाव में राजधानी रांची सीट भी सबसे 'हॉट सीट' में एक है. यहां लगातार 6 चुनावों से जीतती आ रही बीजेपी ने एक बार फिर सी.पी. सिंह को मैदान में उतारा है. झामुमो की महुआ माजी भी यहां से एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रही हैं. झामुमो ने पिछले चुनाव में भी महुआ माजी को प्रत्याशी बनाया था. उन्हें सी.पी. सिंह ने करीब 59 हजार मतों से हराया था. रांची सीट पर तीसरे चरण में 49.10 फीसदी मतदान हुआ.
राज्य की उपराजधानी दुमका सीट पर भी सबकी नजर बनी हुई है. दुमका सीट पर बीजेपी की प्रत्याशी और मंत्री लुइस मरांडी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच सीधा मुकाबला है, लेकिन झाविमो प्रत्याशी अंजूला मुर्मू के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं. उपराजधानी होने के कारण दुमका का काफी राजनीतिक महत्व है. झारखंड को 3 मुख्यमंत्री, 2 उपमुख्यमंत्री और 3 मंत्री देने वाले दुमका पर सभी दलों की नजर है.
इस चुनाव में 'हाई प्रोफाइल' सीटों में सिल्ली विधानसभा क्षेत्र भी बना हुआ है, जहां आजसू प्रमुख सुदेश महतो चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. यहां महतो का मुख्य मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की प्रत्याशी सीमा देवी से है. बीजेपी ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा. साल 2000 में सुदेश महतो कांग्रेस प्रत्याशी केशव महतो को हरा कर पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद वे 2004 और 2009 के चुनाव में जीतकर लगातार तीन बार विधायक चुने गए. यहां तीसरे चरण में 76.98 वोट पड़े हैं.
गिरिडीह जिले के राजधनवार विधानसभा क्षेत्र में इस बार झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा दांव पर है. उनके सामने अपने राजनीतिक कद को बरकरार रखने के साथ ही पार्टी के अस्तित्व को कायम रखने की चुनौती है. जबकि दूसरी तरफ विरोधी किसी भी हाल में मरांडी को यहीं घेरना चाह रहे हैं. इसी कारण यहां का मुकाबला दिलचस्प है, जिस पर पूरे राज्य की नजर है. बाबूलाल मरांडी का सीधा मुकाबला भाकपा (माले) के मौजूदा विधायक राजकुमार यादव के बीच है. परंतु बीजेपी के लक्ष्मण प्रसाद सिंह भी यहां जोर लगाए रहे हैं.