'दिल्ली' से लेकर 'गया' तक सुहागिनों ने श्रद्धाभक्ति से की वट सावित्री पूजा, अखंड सौभाग्य का मांगा वरदान

'दिल्ली' से लेकर 'गया' तक सुहागिनों ने श्रद्धाभक्ति से की वट सावित्री पूजा, अखंड सौभाग्य का मांगा वरदान

'दिल्ली' से लेकर 'गया' तक सुहागिनों ने श्रद्धाभक्ति से की वट सावित्री पूजा, अखंड सौभाग्य का मांगा वरदान

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IANS
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'दिल्ली' से लेकर 'गया' तक सुहागिनों ने श्रद्धाभक्ति से की वट सावित्री पूजा, अखंड सौभाग्य का मांगा वरदान

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली/हरदोई/गया, 26 मई (आईएएनएस)। देशभर में वट सावित्री का पर्व आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार को दिल्ली, उत्तर प्रदेश के हरदोई और बिहार के गया में महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए वट सावित्री की पूजा की। इस दिन सुहागिनें पति दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है।

दिल्ली स्थित कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या को सुहागिन महिलाएं व्रत रखते हुए भीगे चने, सिंदूर, रोली लेकर वट वृक्ष का पूजन करती हैं। इसमें कच्चे सूत को वट वृक्ष के चारों तरफ बांध देते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने पति के प्राणों की रक्षा का वरदान यमराज से मांगा था। यमराज ने उनके सतीत्व को देखते हुए उनके पति सत्यवान को प्राण दान दिया था। इसके बाद से ही वट वृक्ष की पूजा की परंपरा चली आ रही है। इस दिन महिलाएं सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं।

वहीं, हरदोई में महिलाओं ने पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई और उसके बाद बरगद के पेड़ की परिक्रमा व पूजा-अर्चना कर अखंड सौभाग्य की प्रार्थना की। एक सुहागिन ने बताया कि हिंदुओं में इस पर्व का विशेष महत्व है। रात के 12 बजे के बाद अमावस्या लगती है, वैसे ही इस व्रत को शुरू कर देते हैं। इस व्रत में हम पानी तक नहीं पीते हैं। वट वृक्ष की पूजा के बाद ही हम व्रत तोड़ते हैं।

बिहार के गया जिले में भी सुहागिनें सोलह श्रृंगार कर विधि-विधान से वट वृक्ष की पूजा करती दिखीं। व्रती सोनाली सिंह ने बताया कि मैं पहली बार वट सावित्री पूजा कर रही हूं। यह पूजा पति के दीर्घायु के लिए किया जाता है। महिलाओं को बेसब्री से इस दिन का इंतजार रहता है। एक अन्य महिला ने कहा, यह व्रत माता सावित्री के समर्पण का प्रतीक है। हम निर्जला व्रत रखकर अपने पति की सलामती और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं।

-- आईएएनएस

एएसएच/केआर

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