अहमदाबाद, 21 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अदालत ने परीक्षा पेपर लीक मामले में बड़ा आदेश दिया। कोर्ट ने रेलवे के पूर्व आठ कर्मचारियों को पांच-पांच साल की कैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही दोषियों पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, अहमदाबाद ने सोमवार को आठ दोषियों को पांच-पांच साल के कारावास की सजा सुनाई। आपराधिक षडयंत्र, चोरी, चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने या रखने, अपराध के साक्ष्य को गायब करने, अपराध करने और आपराधिक कदाचार के मामले में प्रत्येक पर पांच-पांच लाख रुपए (कुल जुर्माना 40,00,000 रुपए) का भी जुर्माना लगाया गया है।
सजा पाने वाले दोषियों में पश्चिम रेलवे, वडोदरा स्थित डीआरएम कार्यालय के तत्कालीन हेड क्लर्क (ईडी) सुनील जसमल गोलानी, वडोदरा मंडल कार्यालय के तत्कालीन सीनियर सिफर ऑपरेटर महेंद्र व्यास, आनंद पश्चिमी रेलवे कंजारी बोरीयावी के तत्कालीन विद्युत सिग्नल अनुरक्षक-III राजेश कुमार गोस्वामी, वडोदरा के तत्कालीन विद्युत सिग्नल अनुरक्षक-III आनंद सोमाभाई मेरैया, वडोदरा मंडल अधिकारी के तत्कालीन हेड क्लर्क (ईडी) के प्रकाश सीतारामदास करमचंदानी, अहमदाबाद पश्चिम रेलवे कांकरिया के तत्कालीन सहायक डीजल चालक महबूब अली अब्दुलजब्बार अंसारी, तत्कालीन डीजल सहायक चालक परेश कुमार लालही भाई पटेल और रेलवे सुरक्षा बल अजमेर के कॉन्स्टेबल पप्पू बब्बा खान शामिल हैं।
सीबीआई ने तत्कालीन मुख्य सतर्कता निरीक्षक, पश्चिम रेलवे, अहमदाबाद की शिकायत के आधार पर कर्जन-बोरियावी के ईएसएम-III राजेश गोस्वामी और रेलवे विभाग के अन्य लोगों द्वारा प्रश्न पत्र लीक करने के संबंध में मामला दर्ज किया था।
आरोप है कि राजेश गोस्वामी और रेलवे के अन्य अज्ञात कर्मचारी, प्राइवेट व्यक्ति निर्धारित प्रोबेशनरी असिस्टेंट स्टेशन मास्टर के पद के लिए लिखित परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों से 50,000 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक की राशि वसूल रहे थे।
जांच के बाद सीबीआई ने 28 जुलाई 2003 को 8 आरोपियों और एक प्राइवेट व्यक्ति (जिसकी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई) के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया। सुनवाई के बाद अदालत ने सभी अभियुक्तों को दोषी ठहराया और उन्हें सजा सुनाई।
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