नई दिल्ली, 5 जून (आईएएनएस)। पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार कासिम और हसीन को गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया, जहां पुलिस ने उनकी रिमांड बढ़ाने की मांग की। अदालत ने पुलिस की दलीलों को सुनने के बाद दोनों की रिमांड 7 दिन के लिए बढ़ा दी है। कासिम और हसीन की अगली पेशी 12 जून को होगी।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद दोनों आरोपियों ने भारतीय सेना से जुड़ी कुछ संवेदनशील और महत्वपूर्ण जगहों की जानकारी पाकिस्तान को भेजी थी। पुलिस ने कोर्ट में दावा किया है कि कासिम और हसीन ने गिरफ्तारी से पहले अपने मोबाइल फोन से महत्वपूर्ण डेटा डिलीट कर दिया था। हालांकि, पुलिस की साइबर की टीम ने डिलीट किया हुआ डेटा रिकवर कर लिया है। अब पुलिस का कहना है कि पूछताछ के दौरान उन्हें इन आरोपियों का सामना उस डेटा से कराना है।
पुलिस ने अदालत में दलील दी कि यह सिर्फ दो लोगों की नहीं, बल्कि एक संगठित साजिश का हिस्सा है। इसलिए, साजिश के पीछे छिपे सभी आरोपियों की पहचान करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, दोनों के बैंक खातों की जानकारी, लेन-देन के रिकॉर्ड और डिलीट किए गए डेटा की पूरी पड़ताल करनी है। ऐसे में उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ ज़रूरी है।
कोर्ट ने पुलिस की इन दलीलों को सुनने के बाद कासिम और हसीन की 7 दिन की कस्टडी मंजूर कर दी। अब कासिम और हसीन को 12 जून को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा।
बता दें कि राजस्थान के डीग जिले से दो भाइयों कासिम (34) और हसीन (42) को गिरफ्तार किया गया था। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय सिम कार्ड्स पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटर्स को उपलब्ध कराए, जिनका इस्तेमाल भारत में जासूसी और हनी ट्रैप के लिए किया जा रहा था। जांच में पता चला है कि कासिम और हसीन ने भारतीय मोबाइल नंबरों के वन-टाइम पासवर्ड पाकिस्तान में बैठे आईएसआई हैंडलर्स को भेजे। इन नंबरों का उपयोग व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पाकिस्तान से ऑपरेट करने के लिए किया गया। इसका मकसद रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और सैन्य खुफिया विभाग के अधिकारियों को हनी ट्रैप में फंसाकर संवेदनशील जानकारी हासिल करना था।
इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने बताया कि ये सिम कार्ड दिल्ली के आनंद पर्वत क्षेत्र से हासिल किए गए थे, जो हसीन के नाम पर जारी थे और कासिम द्वारा पाकिस्तान भेजे गए थे। कासिम ने अगस्त 2024 और मार्च 2025 में पाकिस्तान की दो यात्राएं कीं, जहां वह करीब 90 दिनों तक रहा। इस दौरान उसने आईएसआई हैंडलर्स से जासूसी की ट्रेनिंग ली और संवेदनशील जानकारियां भी भेजी थीं। हसीन पिछले चार-पांच सालों से आईएसआई के संपर्क में था और उसने अपने छोटे भाई कासिम को भी इस गतिविधि में शामिल किया था।
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