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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
इस्लामाबाद, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान स्थित खैबर पख्तूनख्वा के वजीर-ए-आला यानी मुख्यमंत्री सोहेल अफरीदी अपनी जिम्मेदारियों से बच कर भाग गए हैं! ऐसा इस मुल्क की एंटी-टेररिज्म कोर्ट (एटीसी) का मानना है। एक नहीं बल्कि दो लंबित मामलों को लेकर ये फरमान सुनाया गया है।
स्थानीय मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि ये पीटीआई संस्थापक इमरान खान को लेकर उठाई जा रही आवाज का परिणाम है। हम न्यूज के अनुसार मुख्यमंत्री के साथ-साथ मंत्री मीना खान, शफी जान, अमजद अली और इकबाल अफरीदी को भी इन्हीं मामलों में भगोड़ा घोषित किया गया।
एटीसी जज अबुल हसनात मुहम्मद जुल्करनैन ने पुलिस की अर्जी मंजूर करते हुए यह प्रक्रिया शुरू की। कोर्ट ने पांचों को 30 दिनों के अंदर उसके सामने पेश होने का निर्देश दिया, और चेतावनी दी कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ आगे कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट रिकॉर्ड के अनुसार, ये मामले 26 नवंबर, 2024 को हुए विरोध प्रदर्शनों से जुड़े हैं, जिसके लिए इस्लामाबाद के रमना पुलिस स्टेशन में एक फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई थी। इन आरोपों की सुनवाई आतंकवाद निरोधक कानूनों के तहत की जा रही है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के विरोध प्रदर्शनों से जुड़े कई मामले लंबित हैं, और इस्लामाबाद में पीटीआई के लगभग 80 प्रतिशत विधानसभा सदस्यों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। इस्लामाबाद पुलिस ने कथित तौर पर लगभग 70 पीटीआई सांसदों की पहचान की है जो विभिन्न मामलों में वांछित हैं।
अधिकारियों ने बताया कि दर्ज मामलों का विवरण संकलित करके जमा कर दिया गया है, और यह भी बताया कि अधिकांश आरोपी सांसदों ने किसी भी अदालत से गिरफ्तारी से पहले जमानत नहीं ली है।
मामलों की जांच जारी है, और कोर्ट की 30 दिन की समय सीमा खत्म होने के बाद आगे की कार्यवाही होने की उम्मीद है।
सोहेल अफरीदी अक्टूबर 2025 में अली अमीन गंदापुर की जगह केपी के मुख्यमंत्री बने थे। पीटीआई संस्थापक इमरान खान के निर्देश पर गंदापुर ने इस्तीफा दिया था, और अफरीदी को नया सीएम चुना गया था। अफरीदी पीके-70 (खैबर) से पहली बार विधायक बने थे और प्रांतीय कैबिनेट में शामिल थे।
पीटीआई ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है, जबकि सरकारी पक्ष का कहना है कि कानून सबके लिए बराबर है। अगर अफरीदी 30 दिनों में पेश नहीं होते, तो वे आधिकारिक रूप से भगोड़ा घोषित हो सकते हैं, जिससे उनकी गिरफ्तारी और संपत्ति जब्ती आसान हो जाएगी।
--आईएएनएस
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