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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान को अपनी आवाम पर भरोसा नहीं है, यही वजह है कि लाखों लोगों की जासूसी कराई जा रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट इसका खुलासा करती है। इससे पता चलता है कि तमाम दुश्वारियों से जूझ रहा मुल्क इसके लिए बड़ी कीमत भी चुका रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी अधिकारी कथित तौर पर निजी विदेशी कंपनियों से प्राप्त व्यापक निगरानी उपकरणों के जरिए 40 लाख से ज्यादा नागरिकों की निगरानी कर रहे हैं।
शैडोस ऑफ कंट्रोल शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि पाकिस्तानी अधिकारी देश के नागरिकों, जिनमें आम नागरिक, पत्रकार और प्रमुख राजनेता भी शामिल हैं, पर गैरकानूनी तरीके से निगरानी रख रहे हैं।
मानवाधिकार निगरानी संस्था ने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारी कथित तौर पर पाकिस्तानी दूरसंचार प्रदाताओं के माध्यम से आबादी की डिजिटल गतिविधियों के एक बड़े हिस्से की निगरानी के लिए लॉफुल इंटरसेप्ट मैनेजमेंट सिस्टम (एलआईएमएस) का इस्तेमाल करते हैं।
पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण (पीटीए) का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि दूरसंचार प्रदाताओं का यह सुनिश्चित करना दायित्व है कि उनके कुल उपभोक्ताओं के दो प्रतिशत तक की निगरानी की जा सके।
एमनेस्टी ने आरोप लगाया कि अधिकारी डब्ल्यूएमएस 2.0 नामक एक फायरवॉल का भी इस्तेमाल करते हैं जो इंटरनेट ट्रैफिक की जांच करता है और एक बार में 20 लाख सक्रिय सत्रों को ब्लॉक कर सकता है, जिससे निगरानी प्रणाली और भी मजबूत हो जाती है।
एलआईएमएस, अल्टीमाको नाम की एक जर्मन कंपनी का उत्पाद है, जो इंटरनेट ट्रैफिक और मोबाइल संचार जैसे टेक्स्ट मैसेजिंग और वॉयस को वर्गीकृत करने में मदद करता है और अधिकारियों के लिए इस डेटा को इकट्ठा करता है।
यह तकनीक पाकिस्तान में 2007 से प्रयोग में है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एलआईएमएस प्रणाली का इस्तेमाल करने के लिए अधिकारियों को केवल व्यक्ति के फोन नंबर की जरूरत होती है। यह डेटा मॉनिटरिंग सेंटर नेक्स्ट जेनरेशन (एमसीएनजी) के जरिए सुलभ बनाया जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, एमसीएनजी, डेटाफ्यूजन (जिसे पहले ट्रोविकोर के नाम से जाना जाता था) का एक उत्पाद है, जो अधिकारियों को एलआईएमएस द्वारा एकत्रित सामग्री की जांच करने की सुविधा देता है। इस प्रणाली का इस्तेमाल करके, ऑपरेटर यह देख सकते हैं कि कौन किसे कॉल कर रहा था, यह कब हुआ, कौन सी वेबसाइट ब्राउज की गईं, क्या किसी ने व्हाट्सएप या वीपीएन का इस्तेमाल किया था और उनका स्थान क्या था।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में इंटरनेट सेंसरशिप के साथ ही व्यापक निगरानी की जा रही है और ये वेब मॉनिटरिंग सिस्टम (डब्ल्यूएमएस) के इस्तेमाल से संभव हो पाती है। रिपोर्ट में कहा गया है, इंटरनेट सेंसरशिप में इंटरनेट पर विशिष्ट सामग्री को ब्लॉक करना, इंटरनेट की गति को धीमा और नियंत्रित करना, या इंटरनेट को पूरी तरह से बंद करना शामिल है।
निगरानी संस्था ने बताया कि डब्ल्यूएमएस का पहला संस्करण 2018 में सैंडवाइन नामक कंपनी ने पाकिस्तान में स्थापित किया था; हालांकि, एमनेस्टी की जांच में पाया कि पिछले डब्ल्यूएमएस को गीज नेटवर्क्स ने प्रतिस्थापित किया था। गीज नेटवर्क्स एक चीनी कंपनी है।
एमनेस्टी ने आगे कहा कि यह नई तकनीक चीन के ग्रेट फायरवॉल का व्यावसायिक संस्करण है, जिसे चीनी सरकार सेंसरशिप टूल के तौर पर इस्तेमाल करती है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पीटीए ने 2016 में इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण अधिनियम (पीईसीए) पारित होने के बाद से 14 लाख से ज्यादा यूआरएल ब्लॉक किए हैं।
इंटरनेट शटडाउन के संबंध में, एमनेस्टी ने कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का चलन आम हो गया है।
कीप इट ऑन गठबंधन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, एमनेस्टी ने कहा कि 2016 और 2024 के बीच, पाकिस्तान में इंटरनेट बंद होने की कम से कम 77 घटनाएं हुईं, जिनमें से 24 अकेले 2024 में हुईं। इनमें चुनिंदा लोगों को ब्लॉक किया गया।
--आईएएनएस
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