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india pakistan Photograph: (Social Media)
ढेरों सवालों के बीच आज इंडिया का पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच है. terror और cricket साथ साथ नहीं हो सकते. इस पर चर्चा गरम है. बात जायज भी है. लेकिन क्या terror और treatment साथ साथ हो सकता है? क्या terror और तालीम (Education) साथ चल सकते हैं? क्या terror और terror साथ साथ होना चाहिए? पहले आंकडों से समझिये मौजूदा हाल फिर खुद तय कीजियेगा मुद्दे का जबाव.
वो गोली मार रहे थे, हम ट्रीटमेंट दे रहे थे
बीते करीब 10 सालों में भारत ने उरी, पठानकोट, पुलवामा, रिआसी, और पहलगाम जैसे बड़े आतंकी हमले झेले. 5 साल में 500 से ज्यादा भारतीय नागरिक और सुरक्षा जवानों की शहादत हुई. 100 मौतें हर साल. बावजूद इसके इन्हीं बीते 5 सालों में 1200 से ज्यादा पाकिस्तानियों को इलाज़ करवाने के लिए इंडिया आने दिया गया. 2016 में जब पाकिस्तान उरी और पठानकोट पर हमला कर रहा था उसी साल इंडिया 1600 से ज्यादा पाकिस्तानियों को मेडिकल वीज़ा दे रहा था. मतलब टेररिस्ट इंडियंस की जान ले रहे थे और हम पाकिस्तानियों का इलाज़ कर रहे थे. Terror और treatment साथ साथ.
वो आतंक फैला रहे थे, हम तालीम बांट रहे थे
जिस पाकिस्तान की पहचान पूरी दुनिया में टेरर फैक्ट्री और बर्बाद मुल्क की है. जिस मुल्क में एजुकेशन सेक्टर सबसे बदहाल दौर में हो. हर तीसरा बच्चा स्कूल से दूर हो और जीडीपी एक्सपेंडिचर लगातार घट रहा हो. उसी पाकिस्तान में बीते 6 सालों में 2000 से ज्यादा इंडियन स्टूडेंट्स को स्टडी के लिए भेजना allow किया गया. 2021-22 की भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के भी करीब 30 स्टूडेंट्स इंडिया में पढाई कर रहे थे. Terror और तालीम साथ साथ.
वो गोला बारूद भेजते रहे, हमने भेजी दवाई और शक्कर
जो पाकिस्तान 78 सालों से लगातार हम पर गोलियां चलाकर फ़िज़ा में जहर घोल रहा है, उसी पाकिस्तान को बीते साल हमने सबसे ज्यादा बेचा था दवाइयां और चीनी. बीते 5 सालों में इंडिया ने पाकिस्तान के साथ 3000 मिलियन US डॉलर का ट्रेड किया. मतलब Terror और Trade साथ साथ.
मनमोहन सरकार में भी था टेरर के साथ ट्रेड, क्रिकेट और ट्रीटमेंट
2008 मुंबई आतंकी हमले के बाद भी इंडिया-पाकिस्तान ट्रेड खत्म होने की बजाय साल दर साल बढ़ रहा था. आतंकी हमले के बाद 2014 तक मनमोहन सरकार में पाकिस्तान से ना सिर्फ एक्सपोर्ट चार गुना बढ़ा बल्कि टोटल ट्रेड में 500 मिलियन डॉलर का इज़ाफ़ा हुआ. तब जून 2009 में विदेशी धरती पर दोनों ने ना सिर्फ़ T20 मुक़ाबला खेला बल्कि 2012 में पाक टीम को इंडिया बुलाया भी गया.
समझना जरूरी है कि मामला किसी एक सरकार या पार्टी का नहीं है. सवाल सेलेक्टिव एप्रोच का है. तो इन आंकड़ों से आप खुद तय कीजिये कि टेरर और क्रिकेट साथ नहीं की बहस जायज़ है या सेलेक्टिव.