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नागरिकता संशोधन बिल पर हंगामा है क्यों बरपा! पढ़ें पूरा विश्लेषण

कांग्रेस के सांसद आनंद शर्मा ने राज्यसभा में सरकार को घेरते हुए कहा कि ये बिल प्रस्तावना के खिलाफ है.

Updated on: 12 Dec 2019, 11:07 PM

नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हो गया. राज्यसभा में पक्ष में 125 और विपक्ष में 99 वोट पड़े. बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने समेत सभी संशोधन प्रस्ताव खारिज हो गए. बिल पर चर्चा के दौरान अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अगर देश का बंटवारा ना हुआ होता तो यह बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पर सरकार पर हमलावर रही. 

1. क्या नागरिकता संशोधन बिल 2019 संविधान का उल्लंघन है ?

सरकार और बिल के विरोध में खड़े लोग संविधान के सहारे बिल और सरकार का विरोध कर रहे हैं. विरोधियों का कहना है कि सरकार संविधान की भावना को तार-तार कर बिल में संशोधन कर रही है. कांग्रेस के सांसद आनंद शर्मा ने आज राज्यसभा में सरकार को घेरते हुए कहा कि ये बिल प्रस्तावना के खिलाफ है. ये बिल लोगों को बांटने वाला है. हिंदुस्तान की आजादी के बाद देश का बंटवारा हुआ था, तब संविधान सभा ने नागरिकता पर व्यापक चर्चा हुई थी. बंटवारे की पीड़ा पूरे देश को थी, जिन्होंने इस पर चर्चा की, उन्हें इसके बारे में पता था. उन्होनें कहा कि हमारा संविधान- एक जगह हम भारत के लोग की बात करता है, तो दूसरे जगह सभी लोगों की बात करता है.

सवाल ये है कि आनंद शर्मा की बात से क्या मान लिया जाए और क्या सच में सरकार संविधान का उल्लंघन कर बिल ला रही है. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के सवालों में ही इस बात का जवाब छिपा है कि सरकार या बिल से हमारे यानी हम भारतीयों के संविधान का उल्लंघन हो रहा है या नहीं. इसको आप ऐसे समझ सकते हैं कि भारत का संविधान भारत के लिए बना है ना कि दुनिया के दूसरे मुल्कों के लोगों के लिए. हमारे संविधान के अधिकार सिर्फ हमारे लिए यानी भारतीयों के लिए है, इसीलिए संविधान की प्रस्तावना में साफ शब्दों में लिखा है-
"हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए....."
संविधान में एक शब्द का इस्तेमाल कई बार हुआ है जिसका जिक्र भी राज्यसभा में कांग्रेस की तरफ से किया गया, वो शब्द है -"सभी लोगों को या सभी के लिए..."
अब कुछ लोग संविधान में लिखी लाइन -"सभी लोगों" का इस्तामल ऐसे कर रहे हैं जैसे हमारा संविधान दुनिया के सभी लोगों के लिए है, जबकि भारत का संविधान सिर्फ भारतीय लोगों के लिए है, तो फिर इस तरह तो ये साफ है कि आनंद शर्मा या देश का कोई भी व्यक्ति जो यह कह रहा है कि नागरिकता संशोधन बिल 2019 से संविधान का उल्लंघन हो रहा है या संविधान की भावना का हनन हो रहा है, तो यहां सिर्फ और सिर्फ बरगलाने और विरोध जताने का तरीका ही माना जा सकता है. बात में कोई दम नज़र नहीं आता.

2. नागरिकता बिल से भारत के लोगों को क्या डर या नुकसान है?

नागरिकता संशोधन बिल 2019 भारतीयों के लिए नहीं है, बल्कि ये उन लोगों के लिए है जो भारतीय होने की इच्छा पाले हिंदुस्तान में बैठे हुए हैं, ऐसे में इस बात को समझने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए कि इस बिल से हम भारतीयों को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस बिल के कानून बनने से ना तो किसी भारतीय की नागरिकता जाएगी और नहीं किसी को नागरिकता का कोई विशेष अधिकार मिलेगा या छिनेगा. ऐसे में अगर बिल का विरोध करते-करते अगर कोई देश के लोगों को डराता है तो उसकी अपनी मंशा या महत्वकांक्षा हो सकती है इससे किसी को डरने की जरूरत नहीं है.

अब सवाल ये है कि क्या इस बिल के कानून बनने से भारतीयों का नुकसान होगा. इस सवाल का जवाब जानने के लिए आपको असम में हो रहे आंदोलन और विरोध का समझना पड़ेगा. असम में लोग पिछले कई दिनों से विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे बिल के पास हो जाने से उनका हक्क मारा जाएगा. असम के इन आंदोलनकारियों की बात को गलत नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि अगर उदाहरण के तौर पर सिर्फ असम की बात करें, तो वहां 19 लाख लोग NRC से बाहर हैं और नागरिकता पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. ऐसे में अगर नए बिल के आधार पर आधी फीसदी लोगों को भी नागरिकता मिल जाती है, तो असम और देश के तमाम संसाधनों, नौकरी-पेशा और शिक्षा के क्षेत्र में उनका अधिकार हो जाएगा. जो भारतीय और असमिया लोगों के अधिकार क्षेत्र पर हमला ही माना जाएगा.

लेकिन सरकार का तर्क ये है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित लोगों को अगर भारत शरण नहीं देगा तो फिर वे कहां जाएंगे, क्योंकि इन देशों में प्रताड़ित होने वाले लोग हिंदू, सिख, जैन, बौध, पारसी और इसाई हैं. जिनकी संख्या दिन पर दिन इन देशों में तेजी से घट रही है या जो लोग वहां रह रहे हैं उनकी प्रताड़ना की खबर भी आए दिन आती रहती है. इन प्रताड़ितों में हिंदू भी हैं और उन हिंदुओं के लिए सबसे बड़ी समस्या ये है कि भारत के अलावा उनके पास किसी और देश में जाने का चारा उन्होंने नज़र नहीं आता. दुनिया में भारत ही एक मात्र हिंदुओं का सबसे बड़ा देश है. नेपाल को अगर छोड़ दें तो दुनिया के किसी भी मुल्क में हिंदू बहुसंख्यक नहीं है और कोई देश बड़ी हिंदू आबादी वाला नहीं है. ऐसे में अपने संसाधनों पर भार बढ़ने के बावजूद धार्मिक आधार पर प्रताड़ित शरणार्थियों को पनाह देना भारत का कर्तव्य हो जाता है.

3. नागरिकता बिल से किन राजनीतिक पार्टियों को फायदा-नुकसान

नागरिकता संशोधन बिल 2019 को उस तुष्टीकरण की राजनीति के नज़रिए से भी देखा जा सकता है. जिसके माध्यम से राजनीतिक पार्टियां अपने वोट बैंक का जुगाड़ करते हैं, कांग्रेस, टीएमसी जैसे दल पर अभी तक मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोल लगता आया है और यह भी माना जाता रहा है कि मुस्लिम मूल रूप से उनके ही वोटर रहे हैं. ऐसे में अगर इस बिल से मुस्लिमों जो चाहे इस देश के हों या नहीं उनकी बातें करना इन पार्टियों के लिए हमेशा फायदेमंत होता है. ऐसे में देश पर बाहरी लोगों का भार बढ़ने से क्या होगा, नहीं होगा इसकी चिंता किए बिना कुछ पार्टियां इस बिल में मुस्लिमों को शामिल करने की बात कर रहे हैं.

जबकि बिना बोले कुछ पार्टियां ये जानती है कि अगर मुस्लिमों को नागरिकता कानून में जगह दे दिया गया तो आधा पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से बड़ी जनसंख्या जो मुस्लिम हैं, हिंदुस्तान में आकर बस सकते हैं. क्योंकि मुस्लिम बहुल देश में शिया-सुन्नी और वोहरा की लड़ाई से भी लोग प्रताड़ित हैं. लिहाजा गैर मुस्लिमों को नागरिकता का अधिकार देने का समर्थन कर कुछ पार्टियां अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेक रही हैं. वैसे भी राजनीति में कोई भी फैसला या काम अपने नुकसान के लिए नहीं बल्कि पायदे के लिए ही होता है. जाहिर सी बात है कि सभी राजनीतिक दल चाहे वो मुस्लिम को इस कानून में लाने के समर्थक हों या विरोधी अपना-अपना फायदा भी देख रहे हैं.

4. बिल पर क्या देश के मुस्लिम को बरगलाया जा रहा है ?

नागरिकता संशोधन बिल को लेकर कहा जा रहा है कि देश को बरगलाया जा रहा है. इस का जवाब आपको उन लोगों से बात करके या कुछ लोगों के बयानों से मिल जाएगा, जो अपने देश से ज्यादा पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुस्लिमनों के लिए चिंता दिखा रहे हैं. दरअसल बाहर के देशों के लोगों को भारत से क्या मिले और नहीं मिले इसी बात को धर्म से जोड़कर कुछ लोग ऐसी बात कर रहे हैं, जिससे लग रहा है कि देश में गैरमुस्लिम और मुस्लिमों के बीच भेदभाव किया जा रहा है. असलियत तो ये है कि इस बिल से किसी मुस्लिम का हित या हक्क नहीं मर रहा है ना उसके संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है. क्योंकि यह बिल उन बाहरी देशों के लोगों के लिए है जो भारत के हैं ही नहीं फिर अगर कोई ये कहता है कि इस बिल से भारत के मुस्लिमों की उपेक्षा या देश को हिंदू-मुस्लिम में बांटने की कोशिश हो रही है तो माना जा सकता है कि वो अपने हित के लिए देश के लोगों खासतौर से मुस्लिमों को बरगला रहा है.

अंत में भारत का संविधान हो, हिंदू हो, मुसलमान हो इस बिल से किसी भारतीय का हित या अहित नहीं होने जा रहा है. बल्कि बाहर से आए लोगों का हित या अहित होगा. एक और बात अगर आप नागरिकता के लिए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों से आगे की रेखा खीचेंगे तो आपका देश बाहरियों से भर जाएगा और जैसा कि 2016 में पेश बिल पर JPC की रिपोर्ट कहती है कि इससे देश को भी खतरा हो सकता है.

(लेखक न्यूज नेशन टीवी चैनल में न्यूज एंकर हैं. यह लेखक के स्वयं विचार है. इससे वेबसाइट का कोई संबंध नहीं है.)