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Cryptocurrency का भारत में भविष्य क्या?

फिलहाल भारत में 10 करोड़ ऐसे निवेशक हैं. जिनका पैसा क्रिप्टोमार्केट में लगा है. दावा है कि करीब 6 लाख करोड़ रुपया इस वक्त भारतीयों का क्रिप्टो मार्केट में लगा है.

Updated on: 02 Dec 2021, 01:13 PM

highlights

  • मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो कोर्ट ने बैन हटा दिया
  • रिजर्व बैंक के गवर्नर ने क्रिप्टो करेंसी पर गंभीर चिंताएं जाहिर की है

नई दिल्ली:

भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का भविष्य क्या होगा. ये संसद में आने वाले बिल के बाद तय होगा. क्योंकि बहुत जल्द सरकार संसद में क्रिप्टो करेंसी रेगुलेशन बिल पेश करने वाली है. ऐसे में निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लग गया तो उनके पैसे का क्या होगा. तो हम आपको पूरी रिसर्च के बात बताते हैं कि क्रिप्टो करेंसी पर आगे की राह क्या होगी. ऐसे में अगर बैन लग गया तो बैंक और आपके क्रिप्टो एक्सचेंज के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा. क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए रुपये को डॉलर या दूसरी करेंसी में कन्वर्ट नहीं कर पाएंगे. साथ ही दूसरी करेंसी में खरीदे गए क्रिप्टो कॉ़इन को बेचकर रुपये में ट्रांजेक्शन नहीं होगा.

भारत में कितना बड़ा है क्रिप्टो मार्केट?  
आपको बता दें कि फिलहाल भारत में 10 करोड़ ऐसे निवेशक हैं. जिनका पैसा क्रिप्टोमार्केट में लगा है. दावा है कि करीब 6 लाख करोड़ रुपया इस वक्त भारतीयों का क्रिप्टो मार्केट में लगा है. इसमें औसतन हर निवेशख का 9 हजार रुपये का इनवेस्टमेंट है. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की चिंता इसलिए है, क्योंकि 60 फीसदी निवेशक ऐसे हैं, जो छोटे शहरों से आते हैं। इसके अलावा निवेशकों की औसत उम्र 24 साल है. मतलब ज्यादातर युवा इस नए तरह के इनवेस्टमेंट मार्केट से जुड़े हैं.

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या फर्क? 
क्रिप्टोकरेंसी आम करेंसी से अलग है. इसे न तो छू सकते हैं, न ही इससे कुछ खरीद सकते हैं, बल्कि इसे सिर्फ ऑनलाइन रख सकते हैं. चिंता की वजह ये है कि इस करेंसी को लेकर कोई रेग्युलेटर नहीं है. दुनिया की किसी सरकार का इस पर कंट्रोल नहीं है. इस वक्त दुनिया में 1,000 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चलन में है और 308 से ज्यादा क्रिप्टो एक्सचेंज हैं. इस मार्केट की शुरुआत 2009 में हुई थी. इस करेंसी की कीमतों में उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा होता है. कोरोना काल में तो भारत में क्रिप्टो मार्केट काफी ऊंचाई पर पहुंच चुका है, जबकि डिजिटिल करेंसी केंद्रीय बैंक की देनदारी होती है. इसे केंद्रीय बैंक ही जारी करता है, इसीलिए इसकी कीमतों पर केंद्रीय बैंक का कंट्रोल रहता है.

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कब क्या हुआ? 
2018 में भारत में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो कोर्ट ने बैन हटा दिया, लेकिन क्रिप्टोमार्केट को लेकर चिंता जारी रहीं. 11 नवंबर 2021 को आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टो करेंसी पर गंभीर चिंताएं जाहिर की. इसके बाद 13 नवंबर 2021 को पहली बार पीएम मोदी ने क्रिप्टो मार्केट पर बैठक की. इस बैठक के बाद क्रिप्टो करेंसी पर लगातार सवाल उठने लगे. 15 नवंबर 2021 को संसदीय समिति में क्रिप्टो पर चर्चा की गई और संसदीय समिति में बैन की बजाय रेगुलेट करने पर बातचीत हुई. इसके बाद 18 नवंबर 2021 को सिडनी संवाद में पीएम मोदी ने क्रिप्टो पर एक बार फिर चिंता जाहिर की.

क्रिप्टो पर किस देश का क्या रुख  
भारत में क्रिप्टो को लेकर गंभीर चिंताएं हैं, लेकिन अल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को लीगर टेंडर घोषित कर दिया, जबकि अमेरिका क्रिप्टोकरेंसी के हिसाब से अपनी नीतियां बना रहा है. दक्षिण कोरिया भी इस करेंसी को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रहा है. हालांकि चीन इस करेंसी का लगातार विरोध कर रहा है.

किन-किन क्रिप्टोकरेंसी के प्राइवेट होने का डर 
जानकारों के मुताबिक कुछ प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी ऐसी हैं, जिनकी गतिविधियां संदिग्ध रही है. इसीलिए इन क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की बात चल रही है. इसमें कुछ नाम इस तरह हैं. Monero(XMR), Dash Coin, Zcash(ZEC), Verge(XVG), Beam, Grin, Horizen(ZEN), Firo(FIRO), Byte Coin(BCN), UCoin और Delta. हालांकि 2019 में सरकार के पेश किए गए विधेयक के नाम में क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना का जिक्र था, लेकिन 2021 आते आते विधेयक के नाम में से बैन शब्द हट गया है, जिसके बाद क्रिप्टो करेंसी के निवेशकों को उम्मीद जगी है. अब कुल मिलाकर अब इंतजार संसद में पेश होने वाले मसौदे का है, जिसमें ये तस्वीर साफ हो पाएगी, कि भारत में क्रिप्टो मार्केट चलता रहेगा या फिर निवेशकों की गाड़ी कमाई डूब जाएगी.

लेखक- CHHATAR SINGH KHINCHI