चीन ने कहा कि जब देखो अमेरिका के कुछ राजनेता चीन पर आरोप लगाने से बाज नहीं आते, कभी चीन को कोविड-19 महामारी फैलाने का जिम्मेदार मानते हैं, तो कभी विश्व स्वास्थ्य संगठन को समय पर नए कोरोनोवायरस के प्रकोप की सूचना नहीं देने का बात कहते हैं. कुछ तो यह भी कहते हैं कि चीन कोरोनोवायरस के नमूनों को नष्ट कर रहा है और उसके पास मौजूद सभी सूचनाओं को साझा नहीं कर रहा है. इन सबसे आगे अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने तो यहां तक भी कह दिया है कि चीन सरकार हांगकांग, ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए महामारी फैलाकर दुनिया का ध्यान भटका रही है.
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पर इन तथाकथित राजनीतिक पंडितों से ये कौन पूछे कि आज अमेरिका में जो इतनी बुरी हालत हो रही है, सबसे ज्यादा मौत हो रही हैं, दुनिया में सबसे अधिक कोरोना के मामले अमेरिका में ही आ रहे हैं, कहीं उस पर से ध्यान भटकाने के लिए तो अमेरिकी राजनेता चीन पर आरोप नहीं लगा रहे? ये दोषारोपण का खेल अमेरिका का पुराना खेल है. जब भी अमेरिका के सिर पर कोई संकट आता है, तभी उसका ठीकरा किसी न किसी के सर पर फोड़ देते हैं. इस बार अमेरिका की खुद की लापरवाही की वजह से फैले कोरोना का ठीकरा चीन पर फोड़ने की कोशिश कर रहा है.
अमेरिका को समझना चाहिए कि चीन ने गत 31 दिसंबर को अज्ञात कारण वाले निमोनिया के बारे में डब्ल्यूएचओ को सूचित कर दिया था. कुछ ही दिनों के भीतर, सार्वजनिक रूप से वायरस के आनुवंशिक अनुक्रम को साझा किया. 3 जनवरी से, चीन ने अमेरिका को इस महामारी के प्रकोप और उससे कैसे लड़ा जाए के बारे में बताना शुरू कर दिया. तो फिर चीन को बदनाम क्यों किया जा रहा है?
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यह राजनीति करने का समय नहीं है. अमेरिका में मरने वालों की संख्या 50 हजार के पास पहुंच रही है, 9 लाख के आसपास कोरोना के मामले आ चुके हैं. सच में, इन सबके लिए ट्रम्प प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. अमेरिकी नेतृत्व, विशेष रूप से पोम्पेओ जैसे राजनेता, जो हर समय चीन के खिलाफ आग उगलते हैं, को अपनी गिरेबान में झांकना चाहिए कि क्या उन्होंने वायरस पर रोक लगाने में देरी नहीं की? क्या उन्होंने इस महामारी को हल्के में नहीं लिया? ऐसे बहुत-से सवाल हैं जो अमेरिकी राजनेताओं को खुद से पूछना चाहिए.
अमेरिका की तुलना में, चीन ने वायरस पर प्रभावी ढंग से काबू पाया है. उसने अभूतपूर्व ढंग से महामारी-रोधी उपाय अपनाये हैं और दुनिया को इस महामारी के खिलाफ लड़ने के प्रति मजबूत इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास का जोश भरा है.
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लेकिन अमेरिका अभी भी समय बर्बाद कर रहा है. यह समय हाथ पर हाथ धरे बैठने का नहीं है, और न ही दूसरों पर दोष लगाने का है, इससे महामारी के विरुद्ध लड़ाई में कोई फायदा नहीं होगा, उल्टा कीमती समय बर्बाद होगा. अमेरिका को समझना होगा कि राजनीतिक खेल खेलना वायरस से कहीं अधिक घातक है. उसने पहले ही महामारी की भारी कीमत चुकाई है, कम-से-कम अब तो दोषारोपण का खेल बंद कर देना चाहिए.
(यह लेखक के अपने विचार हैं- साभार-चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पेइचिंग)
Source : IANS