दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान लेनिनग्राद का मोर्चा और आज यूक्रेन का महायुद्ध
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान लेनिनग्राद का मोर्चा और आज यूक्रेन का महायुद्ध देखेंगे तो इन दोनों जंग के बीच में 78 साल का फासला है लेकिन इन दोनों मोर्चों के बीच एक चेहरा समान है और वो चेहरा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का है।
नई दिल्ली:
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान लेनिनग्राद का मोर्चा और आज यूक्रेन का महायुद्ध देखेंगे तो इन दोनों जंग के बीच में 78 साल का फासला है लेकिन इन दोनों मोर्चों के बीच एक चेहरा समान है और वो चेहरा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का है। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान एक छोटा सा बच्चा लेनिनग्राद की उस खौफनाक लड़ाई का गवाह बना था जिसमें नाज़ी जर्मनी से लोहा लेते हुए पूरा लेनिग्राद शहर तबाह हो गया था। छोटी सी उम्र में ही व्लादिमीर ने वो कुछ देखा जिसकी वजह से वो आगे जाकर बने रुस के राष्ट्रपति पुतिन। एक इंटरव्यू के दौरान पुतिन ने लेनिनग्राद की लड़ाई से सीखे सबक बताए थे जिसमें सबसे अहम बात उन्होंने ये कही थी कि जब भी खतरा महसूस हो, तो पहला वार खुद करो ।
पुतिन की ''पहला वार खुद करो'' फिलॉसॉफी
साल 2015 में पुतिन ने अपनी शख्सियत के इस पहलू को दुनिया के सामने रखा था और तब से लेकर आज तक पहला वार खुद करो की फिलॉसॉफी ही पुतिन के एक्शन की बुनियाद बनी हुई है। जब सीरिया से खबर आई कि चेचेन लड़ाके इस्लामिक स्टेट से जुड़ गए हैं तो पुतिन को खतरा महसूस हुआ कि ये आतंकी चेचेन्या लौटकर दोबारा बगावत कर सकते हैं। इसी वजह से रूस सीधे सीरिया की सिविल वॉर में उतरा और तब तक डटा रहा जब तक इस्लामिक स्टेट का वजूद खत्म नहीं हो गया और कुछ ऐसा ही यूक्रेन के मोर्चे पर भी हुआ। यूक्रेन से रूस की अदावत पुरानी है, डोनेस्क और लुहांस्क का मिशन साल 2014 से ही अधूरा चल रहा है लेकिन जब पुतिन को लगा कि नाटो में शामिल होकर यूक्रेन, रूस के दरवाजे तक पश्चिमी देशों का खतरा ले आएगा तो पुतिन ने फौरन यूक्रेन पर हमला करने की ठानी और फिर एक बार पहला वार खुद कर दिया।
द अनलाइकली राइज़ ऑफ व्लादिमीर पुतिन
पुतिन की जीवनी ''द मेन विदाउट अ फेस, द अनलाइकली राइज़ ऑफ व्लादिमीर पुतिन'' में साफ साफ लिखा गया है कि केजीबी में सर्विस करना पुतिन का ख्वाब था औऱ ये ख्वाब पूरा भी हुआ। बतौर केजीबी एजेंट पुतिन ने जर्मनी में काम किया। वो ड्रेसडेन में तैनात रहे और केजीबी की सर्विस से ही पुतिन ने जिंदगी के दो अहम सबक सीखे। वो सबक थे ''शातिर दांव और सीक्रेट प्लान'' ।
अगर आप यूक्रेन पर रूस के हमले की टाइमलाइन को देखें तो आपको पता चलेगा कि यूक्रेन की सेना जिस दिशा में खुद को संतुलित करती तो रूस फौरन अलग दिशा से हमला करता। रूस ने पहले पूर्वी क्षेत्रों में अटैक किए और उसी के साथ उत्तरी मोर्चा भी खोल दिया। मारियोपोल औऱ बेड्रायंस्क को निशाना बनाते हुए यूक्रेन के दक्षिणी हिस्से को दहलाया, साथ ही जेलेंस्की कुछ समझ पाते उससे पहले ही पुतिन ने बेलारूस के जरिए सीधे कीव के उत्तरी हिस्से को घेरना शुरू कर दिया और ये ''पहला वार खुद करो'' कि फिलॉसॉफी को जंग के मोर्चे पर अमल करते चले गए।
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