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अंधेरे में सुपरपॉवर चीन - मुसीबत भी, अवसर भी!

चीन के रोड सिग्नल बिजली गुल होने से ठप पड़े हैं। सड़कों पर लगा भारी जाम लगा है. चीन का लियोनिंग शहर अंधेरे में डूबा है. यहां आलम ये है कि न ट्रैफिक सिंगल्स काम नहीं कर रहे हैं और न ही इमारतों की लिफ्ट. लियोनिंग की तरह चीन के पूर्वोत्तर इलाके के दर्जन

Updated on: 30 Sep 2021, 11:11 PM

नई दिल्ली:

चीन के रोड सिग्नल बिजली गुल होने से ठप पड़े हैं. सड़कों पर लगा भारी जाम लगा है. चीन का लियोनिंग शहर अंधेरे में डूबा है. यहां आलम ये है कि न ट्रैफिक सिंगल्स काम नहीं कर रहे हैं और न ही इमारतों की लिफ्ट. लियोनिंग की तरह चीन के पूर्वोत्तर इलाके के दर्जनों शहर और स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन गंभीर बिजली संकट झेल रहे हैं. लियोनिंग में बिजली की कमी को देखते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया गया है. चीन इस वक्त 5.38  मिलियन किलोवॉट बिजली की भारी कमी से जूझ रहा है. फैक्ट्रियों में बिजली सप्लाई रुकने से प्रोडक्शन में भारी कमी दर्ज की जा रही है। लोगों को पानी गर्म करने और ज्यादा बिजली खर्च करने वाले गैजेट्स का इस्तेमाल रोकने का आदेश दिया गया है. चांगचुन, झेझियांग में सरकार ने 8 अक्टूबर तक पावर कट का ऐलान कर दिया है. बिजली सप्लाई थमने से एप्पल, टेस्ला जैसी कंपनियों के वर्कशॉप बंद हो गए हैं. ऐसे में दुनिया भर में इसका असर पड़ने के आसार है.

अब आपको चीन के अंधेरे में डूबने यानी बिजली संकट की वजह बताते है. दरअसल ड्रैगन के पावर कट से जूझने की सबसे बड़ी वजह कोयले की सप्लाई में बड़ी कमी बताई जा रही है। चीन के ज्यादातर पावर प्लांट कोल बेस्ड हैं. चीन में कुल बिजली उत्पादन का 56.8 फीसदी, कोल बेस्ड प्लांट से होता है. लिहाजा कोयले की सप्लाई में कमी से इन पावर प्लांट में काम ठप पड़ गया है.

चीन सालाना 3.84 अरब टन कोयला उत्पादन करता है। इसके अलावा चीन 305 मिलियन टन कोयले का आयात भी करता है लेकिन इस बार ऑस्ट्रेलिया समेत दूसरे देशों से होने वाली कोल सप्लाई में रूकावट से चीन के थर्मल पावर प्लांट ठप पड़ गए हैं. चीन के पावर संकट की एक वजह कार्बन उत्सर्जन में कटौती की कोशिश भी बताई जा रही है। प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग के मद्देनजर चीन, ग्रीन एनर्जी पर जोर देने लगा है. लिहाजा ऊर्जा उत्पादन में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कोशिश हो रही है. इससे भी चीन में बिजली प्रोडक्शन कम होने लगा है. जाहिर है चीन के इस बिजली संकट का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है. कार के पार्ट्स और मोबाइल प्रोडेक्शन कंपनियों में काम-काज ठप होने से इनका एक्सपोर्ट धीमा होने की आशंका है लिहाजा इस बार त्योहारों में इलेक्ट्रोनिक गुड्स, कार और मोबाइल गैजेट्स महंगे हो सकते है! बिजली की बढ़ती मांग, कोयले और गैस की बढ़ी कीमत, कोल इंपोर्ट में ख़लल के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए चीन में बिजली की खपत पर, सख्त सरकारी कार्रवाई जारी है। ऐसे मे इसका असर चीन के आर्थिक विकास और ग्लोबल बिजनेस पड़ने की पूरी आशंका है.

एक तरफ चीन एवरग्रांडे क्राइसिस से जूझ रहा है, वहीं अब बिजली संकट, शी जिनपिंग के लिए भारी मुसीबत साबित हो सकता है. एक्स्पर्ट चीन के इस संकट को भारत के लिए मौका मान रहे हैं. चीन से मल्टी नेशनल कंपनियों की बेरूखी इस संकट के बाद और बढ़ सकती है और उनका रुझान भारत में निवेश के लिए बढ़ सकता है। इस बीच हाल ही में भारत औऱ ताइवान के बीच चिप प्रोडक्शन को लेकर 55 हजार करोड़ के समझौते को, विशेषज्ञ इसी नजरिए से देख रहे हैं.