पंडित दीनदयाल उपाध्याय
आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मतिथि है।उनके जन्मदिवस पर हम आपको उनके जीवन दर्शन का प्रयास कराते है। दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म 25 सितंबर 1916 को जयपुर के पास एक छोटे से गाँव धानक्या में हुआ था
नई दिल्ली:
आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मतिथि है।उनके जन्मदिवस पर हम आपको उनके जीवन दर्शन का प्रयास कराते है। दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म 25 सितंबर 1916 को जयपुर के पास एक छोटे से गाँव धानक्या में हुआ था। पंडित जी ने अपने शुरुवाती जीवन याने बाल्य अवस्था में ही बहुत से दुःखो का सामना करना पड़ा था ।उनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय जो कि जलेसर रोड स्टेशन के सहायक सटेशन मास्टर थे। नौकरी के कारण वे ज्यादातर बाहर ही रहते थे,लेकिन जब दीनदयाल उपाध्याय जी मात्र तीन वर्ष के थे तब ही उनके पिताजी का देहांत हो गया।इतनी छोटी उम्र में ही सर से पिता का साया उठ जाना जीवन को अत्यधिक कठिन बना देता है, पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी का जीवन अंधकारमय हो गया,वे अत्याधिक बीमार रहने लगी।उन्हें क्षय रोग लग गया। 8 अगस्त 1924 को उनका भी स्वर्गवास हो गया।मात्र 7 वर्ष की उम्र में ही माता पिता का अपने सर से साया उठ जाना कितना कष्टदायक होगा। 1926 में उनके नाना चुन्नीलाल जी का भी देहावसान हो गया, 1931 में उनका लालन पालन करने वाली मामी का भी निधन हो गया। परिवार में मृत्यु का सिलसिला यही नही रुका 18 नवंबर 1934 को उनके छोटे भाई शिवदयाल भी उनका साथ छोड़ गए। 19 वर्ष की अवस्था तक उपाध्याय जी ने अपने प्रियजनों को बिछुड़ते देखा।
8वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद दीनदयाल जी ने कल्याण हाईस्कूल,सीकर,राजस्थान से दसवीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।1937 में पिलानी से इंटरमीडिएट की परीक्षा में पुनः बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 1937 में जब वह कानपुर से बी.ए. कर रहे थे,अपने मित्र बालू जी महाशब्दे की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जुड़े। दीनदयाल जी को संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार सानिध्य भी प्राप्त हुआ। पढ़ाई पूर्ण होने के बाद दीनदयाल जी ने दो वर्षों का संघ में प्रशिक्षण प्राप्त किया और जीवन जीवनभर के लिए संघ के प्रचारक बन गए। संघ के माध्यम से ही वे राजनीति में आए। 21 अक्टूबर 1951 में डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई।1952 में प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ, उपाध्याय जी इस दल के महामंत्री बने। अधिवेशन में 15 प्रस्ताव पारित हुए जिसमे 7 उपाध्याय जी ने प्रस्तुत किए।
डॉ मुखर्जी ने उनकी कार्यकुशलता और कर्मठता से प्रवाभित होकर कहा था यदि मुझे दो दीनदयाल मिल जाए, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा बदल दूं। 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई। मुग़लसराय जंक्शन के यार्ड के खंबा नंबर 1276 के पास उनका शव मिला था।समूचे राष्ट्र में शोक की लहर दौड़ गई। 4 जून 2018 को केंद्र सरकार ने मुग़लसराय स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन रख दिया। कांदला बंदरगाह के नाम को भी दीनदयाल उपाध्याय बंदरगाह कर दिया गया।
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Alia Bhatt: टाइम मैग्जीन के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में आलिया भट्ट ने किया टॉप, खुश हुए फैंस
-
Raveena Tandon On Payment: बॉलीवुड में एक्ट्रेस की फीस को लेकर रवीना टंडन का खुलासा, एक फिल्म से मालामाल हो जाते थे हीरो
-
Bollywood On Ram Lalla Surya Tilak: राम लला के सूर्य तिलक पर झूमे बॉलीवुड स्टार्स, देखें रिएक्शन
धर्म-कर्म
-
Shardiya Navratri 2024 Date: कब से शुरू होगी शारदीय नवरात्रि? जानें सही तिथि और घटस्थापना का मुहूर्त
-
Ram Navami 2024: सोने-चांदी के आभूषण, पीले वस्त्र.... राम नवमी पर रामलला को पहनाया गया सबसे खास वस्त्र
-
Ram Lalla Surya Tilak: इस तरह हुआ राम लला का सूर्य तिलक, इन 9 शुभ योग में हुआ ये चमत्कार
-
Ram Lalla Surya Tilak Types; राम लला को कितनी तरह के तिलक किए जाते हैं ,जानें उनका महत्व