मोदी सरकार के मास्टरप्लान से पाकिस्तान चारों खाने चित
सरकारें जब बड़े लक्ष्य रखती हैं , तो प्रतीक्षा वक्त की करती हैं और हाँ, वक्त ही अच्छे दिन लाता है. नया नैरेटिव सैट हो गया है.
नई दिल्ली:
सरकारें जब बड़े लक्ष्य रखती हैं, तो प्रतीक्षा वक्त की करती हैं और हां, वक्त ही अच्छे दिन लाता है. नया नैरेटिव सैट हो गया है. कश्मीर पर अब बात नहीं होगी, हमारा है कश्मीर और वह दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट चुका है. अब पाकिस्तान से जब भी बात होगी, पीओके पर होगी न कि कश्मीर पर. पीओके पर भी बात तब होगी जब पाकिस्तान हमारे देश में आतंकी भेजना बन्द करेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को नए नैरेटिव की घोषणा कर दी. अब पहल पाकिस्तान करे, पीओके पर बात करनी है तो भारत तैयार है, वरना अब कभी भी हमारे हिस्से वाले कश्मीर पर बात नहीं होगी.
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यह भी तय हो गया है कि परमाणु शक्ति के पहले इस्तेमाल न करने की कोई गारंटी नहीं है. दुःख का विषय है कि 72 सालों में अब तक जितनी भी बातचीत हुई हैं, वह हमारे कश्मीर पर हुई, पीओके पर नहीं. चाहे शिमला समझौता हो या लाहौर पैक्ट, पीओके पर बात हुई ही नहीं! दरअसल पाकिस्तान ने कश्मीर राग 1971 में तब गाना शुरू किया, जब भारत ने पूर्वी पाकिस्तान छीनकर अलग बांग्लादेश बना दिया. इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को छलनी कर दिया था. तब से पाकिस्तान बदला लेने को बिलबिला रहा है.
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कश्मीर के हालात दो दिन में सामान्य नहीं होंगे. सरकार ने 370 हटाई है तो आगे की सब सोचकर हटाई है. इस कथानक की इबारत उसी दिन लिख दी गई थी, जिस दिन पिछले कार्यकाल में भाजपा ने महबूबा सरकार गिराकर सत्यपाल मलिक को वहां भेजा था. तय था कि सरकार बड़े बहुमत से आई तो 370 मरेगी, कश्मीर का विभाजन होगा. अभी दूसरा बड़ा विषय मन्दिर का भी है जो इसी कार्यकाल के लिए तय है.
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