चुनाव नहीं सांप्रदायिक दंगों पर भी राजनीति सीख गए केजरीवाल, ताजा फैसले बयां कर रहे हकीकत
अगर आज आप बीजेपी या कांग्रेस बीजेपी और आप पर निशाना साध रही है, तो एक बार फिर सभी लाशों की राजनीति कर रहे हैं.
highlights
- आप भी अब धर्म केंद्रित राजनीति के दांव-पेंच से बाखूबी वाकिफ हुई.
- आप भी सॉफ्ट हिंदुत्व का चोला पहन कर वोट बैंक की राजनीति कर रही.
- अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से समय रहते मदद क्यों नहीं मांगी.
नई दिल्ली:
सी रामचंद्र की क्लासिक फिल्म 'पैगाम' के शीर्षक गीत 'इंसान का इंसान से हो भाई चारा, यही पैगाम हमारा' को सिग्नेचर ट्यून बनाने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) के बाद नफरत की राजनीति करने वाले दलों और नेताओं की कतार में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है. आज आप भड़काऊ बयान देने वाले बीजेपी या अन्य दलों के नेताओं पर एफआईआर क्यों नहीं, जैसा सवाल दिल्ली पुलिस से पूछने का नैतिक आधार खो चुकी है. इसके इतर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने शुक्रवार को जिस तरह से दिल्ली हिंसा प्रभावित पीड़ितों को मुआवजा देने की घोषणा की है, वह स्पष्ट इशारा है कि आप भी अब धर्म केंद्रित राजनीति के दांव-पेंच से न सिर्फ बाखूबी वाकिफ हो गई है, बल्कि वोट बैंक के कारखाने में सांप्रदायिकता के ईंधन के इस्तेमाल में भी अनुभवी हो चुकी है. अगर आप पार्टी बीजेपी नेताओं को उकसाने वाली बातों के लिए घेर रही है, तो इसका जवाब कौन देगा कि उसने भी आप नेताओं के भड़काऊ बयानों पर समय रहते लगाम क्यों नहीं लगाई?
यह भी पढ़ेंः राजधर्म पर नरेंद्र मोदी ने वाजपेयी की नहीं सुनी थी, हमारी क्या सुनेंगे: कपिल सिब्बल
कांग्रेस की कमी पूरी कर रहे केजरीवाल
साफ है कि अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस का स्थान हथियाते हुए तुष्टीकरण की राजनीति शुरू कर दी है. बेहतर होता कि राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर आंसू बहाने के बजाय मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके 62 विधायक शाहीन बाग हिंसा के बाद ही अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय हो जाते और समय रहते सही कदम उठाते, तो आज दिल्ली जलने से बच जाती. नागरिकता संशोधन कानून के बाद उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और अन्य जिलों में हुई हिंसा के तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांप्रदायिक हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई दोषियों की संपत्ति जब्त करके का ऐलान कर दिया था. इसका असर पड़ा था और लूट-पाट समेत सीएए के विरोध में जगह-जगह शाहीन बाग बनने से रोकने में भारी मदद मिली थी. और तो और, शाहीन बाग हिंसा के बाद ही दिल्ली पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया समेत बाहरी तत्वों के हिंसा में शामिल होने का अंदेशा जताया था. सवाल यह उठता है कि दिल्ली पुलिस पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार को लगातार घेरते आए अरविंद केजरीवाल ने इस पर केंद्र से समय रहते मदद क्यों नहीं मांगी.
यह भी पढ़ेंः आधी रात को जस्टिस मुरलीधर के तबादले का आदेश जारी करते सावधानी बरतनी चाहिए थी : न्यायाधीश बालकृष्णन
उकसावे पूर्ण बयानों पर मुंहजबानी जमा-खर्च क्यों
एक बड़ा प्रश्न यही है कि सीएए लागू होने के बाद सबसे पहले असम सुलगा था, जो समय रहते शांत भी हो गया. बाद में बिहार समेत उत्तर प्रदेश और कई अन्य राज्यों के कई जिले सीएए विरोधी आग में सुलगे, लेकिन समय रहते वहां की सरकारों के कठोर कदम उठाने से जगह-जगह शाहीन बाग बनने के मंसूबे पूरे नहीं हुए. एक बड़ा प्रश्न तो यह भी है कि शाहीन बाग में धरना-प्रदर्शन लगभग दो माह से जारी है. फिर हिंसा शाहीन बाग या उसके आसपास न होकर उत्तर पूर्वी दिल्ली के ही कुछ इलाकों में क्यों फैली? जाहिर है दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी भी सॉफ्ट हिंदुत्व का चोला पहन कर वोट बैंक की राजनीति कर रही थी. क्या इससे इंकार किया जा सकता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कपिल मिश्रा समेत बीजेपी के कई अन्य नेताओं के उकसावे वाले बयान आए, लेकिन सिर्फ जुबानी हमला कर आप ने कांग्रेस से छिटक रहे मुसलमानों के वोट बैंक को अपने खेमे में लाने का काम ही किया.
यह भी पढ़ेंः कन्हैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देकर पी चिदंबरम के निशाने पर आए अरविंद केजरीवाल
उत्तर प्रदेश से सबक लेते केजरीवाल
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रविवार से शुरू हुए दो दिवसीय दौरे की पूर्व संध्या से हिंसा के संकेत मिलने शुरू हो गए थे. इसके बावजूद आप के सीएम केजरीवाल समेत 62 विधायकों ने लोगों के बीच जाकर उन्हें समझाने-बुझाने की जरूरत नहीं समझी. यही काम बीजेपी या कांग्रेस के नेताओं को भी करना चाहिए थे, लेकिन सभी वोटबैंक की राजनीति में मशगूल थे और लोगों के भ्रम और डर को दूर करने के बजाय उसे अपने-अपने बयानों से हवा देने में लगे रहे. अगर आज आप बीजेपी या कांग्रेस बीजेपी और आप पर निशाना साध रही है, तो एक बार फिर सभी लाशों की राजनीति कर रहे हैं. शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल का दंगा पीड़ितों और प्रभावितों को मुआवजे का ऐलान भी तुष्टीकरण की राजनीति करार दिया जाएगा. आखिर वह उत्तर प्रदेश पुलिस और सरकार से सबक लेने में क्यों नाकाम रहे कि दंगों में सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई दंगाईयों से कराने का निर्णय उपद्रवियों के हौसले को तोड़ने का काम ही करता है. उत्तर प्रदेश प्रशासन ने बीते साल दिसंबर 2019 में राज्य में हुए सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान नुकसान की भरपाई के लिए दंगाइयों के रूप में पहचाने जाने वाले कम से कम 400 लोगों कको नोटिस भेजे थे. सुप्रीम कोर्ट की पिछली सिफारिशों और 2011 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसलों ने इसे सही ठहराया था.
यह भी पढ़ेंः Alert! रोजमर्रा की कई चीजें हो सकती हैं महंगी, आम आदमी पर पड़ेगा बड़ा असर
अब मुआवजे का झुनझुना
दिल्ली सरकार के ऐलान के मुताबिक व्यस्क मृतकों को 10 लाख रुपये की मदद दी जाएगी. इसमें से एक लाख रुपये तुरंत दिए जाएंगे और 9 लाख रुपये की राशि कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद दी जाएगी. मृतक नाबालिग को 5 लाख रुपये देने का ऐलान किया गया है. अगर इस हिंसा में किसी को स्थाई रूप से चोट पहुंची है, तो उसे 5 लाख रुपये दिए जाएंगे. गंभीर चोट से पीड़ित के लिए 2 लाख का ऐलान किया गया है. मामूली चोट के लिए 20 हजार रुपये. अनाथ के लिए 3 लाख रुपये की घोषणा की गई है. जानवर की क्षति के लिए 5000 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. साधारण रिक्शा के लिए 25000 रुपये और ई रिक्शा के लिए 50000 रुपये देने की घोषणा की गई है. यही नहीं, अरविंद केजरीवाल ने पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए मकान के लिए 5 लाख रुपये का ऐलान किया है. इसमें से 1 लाख रुपये किरायेदारों के लिए हैं (अगर उस घर में किराएदार रहता था) जबकि 4,00000 रुपये मकान मालिक के लिए हैं. सरकार के मुताबिक व्यावसायिक प्रतिष्ठान के नुकसान के लिए 5 लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान किया गया है. हिंसा में अगर घर को भारी क्षति हुई है तो 2.5 लाख रुपये दिए जाएंगे, मामूली क्षति के लिए 15000 रुपये देने का प्रावधान किया गया है. सहायता राशि पाने के लिए केजरीवाल सरकार ने एक फॉर्म जारी किया है. इस फॉर्म में नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार और वोटर पहचान पत्र (यदि मौजूद हो तो) का ब्योरा मांगा है.
यह भी पढ़ेंः हेट स्पीच या हेट मैसेज की शिकायत के लिए दिल्ली सरकार जारी करेगी व्हाट्सऐप नंबर
दिल्ली पुलिस को सही लगी फटकार
दिल्ली हिंसा को लेकर कठघरे में खड़ी दिल्ली पुलिस जरूर अब कुछ सक्रिय हुई है. कह सकते हैं कि इसके पीछे हाईकोर्ट की फटकार है, जिसके तहत दिल्ली पुलिस को कर्तव्य के निर्वहन में नाकामयाब पर कड़ी चेतावनी दी गई थी. अब उत्तर प्रदेश पुलिस की तर्ज पर दिल्ली पुलिस ने भी उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से जुर्माना वसूलने या उनकी संपत्तियों को कुर्क करने का फैसला किया है. क्राइम ब्रांच के स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) और लोकल पुलिस को इस संबंध में पहले ही निर्देश जारी किए जा चुके हैं कि नुकसान का आंकलन करने के लिए नगर निगम अधिकारियों और दिल्ली सरकार के साथ समन्वय किया जाए. एसआईटी को उन लोगों की पहचान करने का काम सौंपा गया है, जिन्होंने चार दिनों में और पूरी उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों के दौरान आगजनी, लूटपाट या संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था. यह शक है कि आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों सहित कई स्थानीय अपराधियों ने जाफराबाद, कर्दमपुरी, करावल नगर, मौजपुर, भजनपुरा और अन्य क्षेत्रों में स्थिति का फायदा उठाया.
यह भी पढ़ेंः रिवॉल्वर लिए सामने खड़ा था दंगाई, सीना ताने खड़ा रहा ये पुलिसवाला
अभी भी चेत जाएं सभी राजनेता
अभी भी समय है आम आदमी पार्टी समेत केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार सीएए को लेकर फिजूल में बंट चुके सामाजिक ताने-बाने को मजबूत बनाने का काम करें. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को भी भ्रम और डर फैलाने से बाज आना चाहिए. बगैर राजनीति करें जो भी राज्य सरकारें अच्छा कर रही हैं, उसे अपनाने की प्रवृत्ति अपनानी होगी. केंद्र को भी राज्य सरकारों को लेकर समावेशी नीति अपनानी होगी. राज्यों को भी संवैधानिक दायरे में रह कह कर केंद्र से संबंधों को निभाना होगा. केरल, पंजाब की तरह एकला चलो रे की नीति किसी भी लोकतांत्रिक ढांचे के लिए अच्छी नहीं है. इन जैसे कुछ सबक हमारे राजनेता जितनी जल्दी सीख जाएंगे, उतनी ही जल्दी देश का सामाजिक ताना-बाना और विभिन्नता में एकता का सार गाढ़ा हो भारत की नींव को मजबूती देने लगेगा. फिर यह कहने की जरूरत नहीं रह जाएगी... लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में. तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
April Panchak Date 2024: अप्रैल में कब से कब तक लगेगा पंचक, जानें क्या करें क्या ना करें
-
Ramadan 2024: क्यों नहीं निकलते हैं कुछ लोग रमज़ान के आखिरी 10 दिनों में मस्जिद से बाहर, जानें
-
Surya Grahan 2024: क्या भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण, जानें कब लगेगा अगला ग्रहण
-
Rang Panchami 2024: आज या कल कब है रंग पंचमी, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व जानिए