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MP Election: मध्य प्रदेश में बिना CM फेस के चुनाव में जाने से बीजेपी को फायदा या नुकसान?

MP Election 2023 : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. राज्य में 17 नवंबर को वोटिंग होगी. चुनाव आयोग के मुताबिक पूरे प्रदेश की 230 सीटों पर एक चरण में ही मतदान होगा.

Updated on: 09 Oct 2023, 09:45 PM

भोपाल:

MP Election 2023 : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. राज्य में 17 नवंबर को वोटिंग होगी. चुनाव आयोग के मुताबिक पूरे प्रदेश की 230 सीटों पर एक चरण में ही मतदान होगा. साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जीत तो दर्ज कर ली थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते पार्टी अपनी सरकार के 5 साल पूरे नहीं कर पाई. नतीजा ये रहा कि 1 साल 97 दिन के बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में साल 2003 से सत्ता का सूखा झेल रही कांग्रेस के लिए 2018 का चुनाव एक संजीविनी की तरह था, लेकिन अपनों के ही धोखे ने कांग्रेस को वापस विपक्ष में बैठा दिया.   

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लेकिन इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रदेश की जनता बीजेपी को सत्ता से बाहर कर कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी. 5 अक्टूबर को प्रिंयका गांधी वाड्रा ने धार की रैली में जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि जब मैं यहां आ रही थी तो मैंने नौजवानों से पूछा कि इस चुनाव में क्या होने वाला है, मध्य प्रदेश का भविष्य क्या है? उन्होंने कहा कि राजा जा रहा है. मैंने पूछा क्यों? तो कहने लगे कि इस बार हमारा वोट रोजगार के लिए डलेगा.

मध्य प्रदेश में साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उमा भारती के नेतृत्व में प्रचंड जीत हासिल कर दिग्विजय सिंह की 10 साल की सत्ता को उखाड़ दिया था. उमा भारती ने प्रदेश की कमान संभाली, लेकिन वो ज्यादा दिन तक सीएम की कुर्सी पर नहीं रहीं. 9 महीने के बाद बीजेपी ने उनको हटाकर प्रदेश की कमान बाबू लाल गौर को सौंप दी. बाबू लाल गौर भी 15 महीने तक ही सीएम की कुर्सी पर रहे. यहां से शुरू हुआ मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का दौर. 

तारीख थी 29 नवंबर 2005. भोपाल के राजभवन में पहली बार शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वो दिन था और आज का दिन है. शिवराज सिंह के अलावा बीजेपी का कोई नेता सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठा. बीच में साल 2018 के दिसंबर महीने में जरूर थोड़े समय के लिए जरूर इस सीट पर कमलनाथ बैठे थे, लेकिन मार्च 2020 तक आते आते शिवराज ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पाले में मिला लिया और फिर से सीएम की कुर्सी पर आसीन हो गए. लेकिन इस बार बीजेपी ने साफ कहा है कि वो बिना किसी फेस के चुनाव मैदान में हैं. उसका चेहरा कमल ही है. 8 अक्टूबर को नीमच में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि हमारे हर चुनाव में हमारा चेहरा कमल होता है और कमल हम सबके लिए पूजनीय है. कमल लेकर ही हम जनता के बीच जाते हैं. 

मतलब साफ है कि बीजेपी इस बार शिवराज पर दांव लगाने के मूड में नहीं है. ऐसे में बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश की चुनावी वैतरणी को पार करना कितना मुश्किल है, ये जानते हैं. भोपाल में वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर का कहना है कि ऐसा नहीं है कि कोई सीएम फेस नहीं है. उनका मानना है कि जब सत्ताधारी पार्टी चुनाव में जाती है तो वर्तमान मुख्यमंत्री ही आने वाला सीएम होता है. उन्होंने बताया कि विपक्ष को ये बताने की जरूरत होती है कि उनका चेहरा कौन होगा. जनता को ये बात भली-भांति पता होता है कि सत्ताधारी दल का चेहरा कुर्सी पर बैठा मुख्यमंत्री ही होता है.

मतलब ये कि मध्य प्रदेश की सियासी नब्ज को समझने वाले अब भी प्रदेश में सबसे बड़ा नेता शिवराज सिंह चौहान को ही मानते हैं. जब हमने ये जानने की कोशिश की कि शिवराज सिंह का कितनी सीटों पर आज भी दबदबा? तो इसका जवाब देते हुए वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर का कहना है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा करने वाले सर्वे भी ये बता रहे हैं कि बीजेपी को 100 सीटें मिलने का अनुमान है. उन्होंने बताया कि राज्य में कई एजेंसियों ने सर्वे किए, जिन सर्वे ने कांग्रेस की सरकार बनने का दावा किया उन्होंने भी अपने सर्वे में बीजेपी को 100 से ज्यादा सीटें दी हैं. 

आपको बता दें कि शिवराज सिंह चौहान 2005 से राज्य में बीजेपी का सियासत का एक मात्र चेहरा रहे हैं. लेकिन इस बार पार्टी ने कमल के निशान पर जनता के बीच जाने की बात कहकर कहीं ना कहीं मामा को भावुक कर दिया. यही कारण है पिछले दिनों अपने गृह जनपद सिहोर की जनसभा में शिवराज सिंह ने कहा “ऐसा भैया मिलेगा नहीं तुम्हें, जब मैं चला जाऊंगा तब तुम्हें याद आऊंगा" जब चला जाऊंगा तो बहुत याद आऊंगा...

ऐसे में सवाल है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के अलावा कौन-कौन से नेता हैं जिनपर बीजेपी दांव लगा सकती है. बता दें कि इस बार बीजेपी ने कई सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में उतारा है. इनमें तीन केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और बीजेपी संगठन महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम शामिल है, जो अपने ‘राजनीतिक कद’ की वजह से मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी रहे हैं. 

यहां आपको बता दें कि ये पहला मौका होगा जब बीजेपी ने किसी राज्य की चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक को उम्मीदवार बनाया है. जो मध्य प्रदेश में नरेंद्र सिंह तोमर हैं. ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी की तरफ से इनमें से ही कोई चेहरा भी सीएम हो सकता है? जब हमने ये सवाल मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर से किया तो उन्होंने बताया कि कुर्सी का दावेदार हर विधायक होता है. लेकिन देखना ये होता है कि आखिर पार्टी उन दावेदारों को कितनी गंभीरता से लेती है. बकौल गिरिजा शंकर साल 2020 में जब कमलनाथ की सरकार गिरी थी, तब बीजेपी की सरकार बनने पर बहुत सारे नेता सीएम पद के दावेदार थे लेकिन पार्टी हाईकमान ने चौथी बार शिवराज सिंह चौहान को ही सीएम पद के लिए चुना. तो सबसे अहम होता है पार्टी हाईकमान किसे चुनती है.  

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बता दें कि मध्य प्रदेश में 1 चरण में 17 नवंबर को चुनाव होंगे. 21 अक्टूबर को चुनाव को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. 30 अक्टूबर को नामांकन का आखिरी दिन है. वहीं 31 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 2 नवंबर तक प्रत्याशी नाम वापस ले सकते हैं. 17 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को मतगणना होगी. एमपी में वोटरों की संख्या की बात करें तो यहां कुल 5.52 करोड़ मतदाता हैं. इनमें 2.85 करोड़ पुरुष वोटर, 2.67 करोड़ महिला वोटर हैं. जबकि 18.86 लाख वोटर ऐसे हैं जो पहली बार अपने मत का प्रयोग करेंगे. वहीं 80 से ज्यादा उम्र के वोटर्स की संख्या 7.12 लाख है. इसके अलावा 100 साल की उम्र वाले मतदाताओं की संख्या 6,180 है. वहीं सर्विस वोटर्स की बात करें तो इनकी संख्या 75,426 है.

नवीन कुमार की रिपोर्ट